रांची। झारखंड में शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया की राह आसान नहीं दिख रही। रोजगार और नौकरी के नाम पर हमलावर विपक्षी पार्टी को और भी बल मिल सकता है। एक तरफ पर्चा लीक मामले पर एसएससी और सरकार कटघरे में हैं वहीं सहायक आचार्य परीक्षा में पड़ोसी राज्य के टेट पास और सी टेट पास अभ्यर्थी का मामला सुप्रीम कोर्ट में है। जिसकी सुनवाई जारी है और इसमें वक्त लग सकता है।

झारखंड प्रारंभिक सहायक आचार्य संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा में सीटेट व पड़ोसी राज्य से टेट पास अभ्यर्थियों को शामिल करने के मामले में दायर एसएलपी पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई. जस्टिस जेके महेश्वरी व जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने प्रतिवादी राज्य सरकार व झारखंड सीटेट उत्तीर्ण अभ्यर्थी संघ का पक्ष सुना. इसके बाद खंडपीठ ने दोनों प्रतिवादियों को हलफनामा दायर करने के लिए समय प्रदान किया. साथ ही मामले की फाइनल सुनवाई अब चार सप्ताह के बाद होगी।

क्या कहते है जेटेट पास अभ्यर्थी

इस तरह का नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार झारखंड हाइकोर्ट के पास नहीं है. यह गलत है. झारखंड की क्षेत्रीय व जनजातीय भाषा संथाली, खोरठा, नागपुरी, हो, कुड़माली आदि का ज्ञान जेटेट अभ्यर्थियों के पास है. क्योंकि उन्होंने इसकी परीक्षा दी है, लेकिन सीटेट अभ्यर्थियों के पास क्षेत्रीय भाषा के रूप में हिंदी या अंग्रेजी विषय का ही ज्ञान है.

जब सीटेट पास शिक्षकों की नियुक्ति राज्य के प्रारंभिक विद्यालयों में होगी, तो उन्हें स्थानीय भाषा में बच्चों को शिक्षा देने में परेशानी होगी. यह शिक्षा के अधिकार अधिनियम का भी उल्लंघन होगा. उल्लेखनीय है कि जेटेट पास अभ्यर्थी परिमल कुमार व अन्य 1600 प्रार्थियों की ओर से एसएलपी दायर की गयी है. उन्होंने झारखंड हाइकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए निरस्त करने की मांग की है.

क्या है मामला

वहीं प्रार्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायण व झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने पक्ष रखा. पिछली सुनवाई में उन्होंने बताया था कि झारखंड हाइकोर्ट ने दिसंबर 2023 में पीआइएल में आदेश पारित किया था. सीटेट उत्तीर्ण व पड़ोसी राज्यों से टेट पास करनेवाले झारखंड के स्थानीय निवासी अभ्यर्थियों को सहायक आचार्य संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा में शामिल करने का आदेश दिया था.

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