झारखंड....जिनके हाथों राज्य की सुरक्षा का जिम्मा, वही पूछ रहे कब वादा निभायेगी सरकार ? मामला पुलिस विभाग का...

रांची झारखंड राज्य अंतर्गत पुलिस सेवा में कार्य कर रहे कर्मियो की चिर लंबित मांग 13 माह की वेतन थी,जिसे रघुवर सरकार ने पूरा तो किया परंतु उसके बदले पुलिस कर्मियो को मिलने वाली अन्य सभी प्रकार की छुट्टी की कटौती कर ली गई,जिससे पुलिस कर्मी अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे।

राज्य 15 नवंबर 2000 को बिहार राज्य से अलग होकर बना । बिहार ,उत्तर प्रदेश ,दिल्ली ,राजस्थान आदि अनेक राज्यों में पुलिस कर्मियों को संविधान के शुरुआत से और पुलिस मैनुअल के अनुसार साल में 18 आकस्मिक अवकाश 20 दिन क्षतिपूर्ति अवकाश तथा और 31 दिनों का उपार्जित अवकाश मिलता था ।इन सभी प्रकार के अवकाश को 13 माह के वेतन के बदले संशोधित कर दिया गया।

झारखंड पुलिस अलग होने पर बिहार राज्य के तर्ज पर सारे सुविधाओं की मांग सरकार से करते आ रही है।

इन्हीं मांगों में एक मांग 13 माह के वेतन का भी था, क्योंकि पुलिसकर्मी रविवार एवं अन्य सभी पर्व त्यौहार में विधि व्यवस्था संधारण ड्यूटी में लगे रहते हैं, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के द्वारा 13 माह का वेतन मामले की फाइल पर हस्ताक्षर किया गया एवं वर्ष 2019 से झारखंड पुलिस के सभी अंगों को 13 माह का वेतन लाभ मिलना शुरू हो गया है, किन्तु 20 दिनों का क्षतिपूर्ति अवकाश को बन्द कर दिया गया, साथ ही उपार्जित अवकाश उपभोग करने वाले का वेतन भी काट लिया जाता है।


वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भरोसा दिलाया था कि सरकार बनते ही क्षतिपूर्ति अवकाश पुनः शुरू करा दिया जाएगा एवं उपार्जित अवकाश उपयोग करने पर कोई वेतन नहीं कटेगा। जो अबतक लागू नहीं की गई।

पुलिस विभाग के एसोसिएशन द्वारा कई बार इस मुद्दे को सरकार के समक्ष रखा गया परंतु ये विषय अब तक विचाराधीन है और आश्वाशन के सिवाय कुछ प्राप्त नही हुआ। ऐसे में ये संभव है की पुलिस विभाग के कर्मी अपनी मांगो के समर्थन में कभी भी कड़े रुख अख्तियार कर सकती है।

HPBL Desk
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