झारखंड: ...ना बच्चों का दाखिला, ना भरपेट खाना ! बिना वेतन ऐसी हो गई है स्वास्थ्यकर्मियों की जिंदगी...AJPMA ने प्रधान सचिव को दिया ज्ञापन

रांची। ….अजीब विडंबना है, जिन स्वास्थ्यकर्मियों पर जख्म पर मरहम लगाने की जिम्मेदारी है, उन्ही स्वास्थ्यकर्मियों को वक्त पर वेतन नहीं देकर सरकार जख्म पर नमक लगाने का काम कर रही है। होली सूना गुजरा और इस बार तो ईंद भी बेरंग रही….हाल यही रहा तो आने वाले दिनों दो जून का निवाला भी दूभर हो जायेगा। दरअसल प्रदेश के हजारों स्वास्थ्यकर्मी इन दिनों वेतन के लिए तरस रहे हैं। मलेरिया स्कीम के अंतर्गत काम कर रहे हजारों स्वास्थ्यकर्मियों को वर्ष 2022-23 का वेतन आवंटन जारी ही नहीं हुआ है।


लिहाजा, मार्च से ही कर्मचारी बिन वेतन ही काम करने को मजबूर हैं। ऑल इंडिया पारा मेडिकल एसोसिएशन के प्रदेश महासचिव उपेंद्र कुमार सिंह ने स्वास्थ्य विभाग के ACS को पत्र लिखकर तत्काल आवंटन जारी करने की मांग की है, ताकि स्वास्थ्यकर्मियों को राहत मिल सके। उपेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि

“अभी के वक्त में महंगाई जान ही रहे हैं, कितना बढ़ा हुआ है, पेट्रोल-डीजल से लेकर बाजार में कीमतें बढ़ी हुई है। उससे भी अलग कि ये अप्रैल-मई का वक्त ऐसा होता है, जब बच्चों के एडमिशन का समय होता है, हमारे कई स्वास्थ्यकर्मी साथी तो अपने बच्चों का एडमिशन तक नहीं करा पाये हैं। कई लोग संयुक्त परिवार में रहते हैं, उनके लिए एक महीने का वेतन नहीं मिले तो घर चलाना मुश्किल हो जाता है। कई लोग बीमार हैं, कई लोगों का लोन है, वो वक्त पर बैंक में पैसा नहीं जमा कर पा रहे हैं, वो डिफाल्टर लिस्ट में चले जायेंगे, इसलिए मैंने एसीएस को पत्र लिखकर मांग की है कि तत्काल आवंटन जारी किया जाये”


दरअसल प्रदेश में स्वास्थ्यकर्मियों को अलग-अलग मदों के जरिये वेतन का आवंटन मिलता है। राज्य स्कीम के अंतर्गत बजट मुख्य शीर्ष 2210 चिकित्सा तथा लोक स्वास्थ्य 08, लोक स्वास्थ्य 101 रोगों का निवारण व नियंत्रण 10 संचारी के तहत काम कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों के लिए इस वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए वेतन का आवंटन जारी ही नहीं हुआ है।


लिहाजा, प्रदेश के अलग-अलग पीएचसी में पदस्थ हजारों स्वास्थ्यकर्मियों को मार्च के बाद वेतन ही नहीं मिला है। एक तरफ महंगाई सूरसा की तरह मुंह बाये खड़ी है और दूसरी तरफ वक्त पर वेतन भी नसीब नहीं हो रहा है, ऐसे में आधे पेट खाकर स्वास्थ्यकर्मियों को दिन काटना पड़ रहा है। ना तो बच्चों का एडमिशन हो पा रहा है, ना बीमार का इलाज..ऐसे में जो स्वास्थ्यकर्मी प्रदेश का मजबूत आधार कहे जाते थे, वो उनके ही घरों की नींव डोलने लगी है।
महासचिव ने एसीएस हेल्थ से गुहार लगायी है कि स्वास्थ्यकर्मियों की तत्काल चिंता करते हुए वेतन आवंटन जारी किया जाये, ताकि उन्हें वक्त पर वेतन मिल सके।

HPBL Desk
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