Ranchi। आरक्षण के मुद्दे पर झारखंड हाईकोर्ट ने अहम फैसला दिया। जिसके बाद उत्तीर्ण परीक्षाफल प्रकाशित होने के बाद उम्मीदवारी रद्द कर दी गई। अदालत ने ये फैसला जेएसएससी और एक महिला के बीच हुए विवाद के बाद दिया।

क्या कहा अदालत ने

जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने कहा है कि सिर्फ इस आधार पर कोई आरक्षण का दावा नहीं कर सकता कि उसे इसी राज्य के अधिकारी ने जाति प्रमाणपत्र जारी किया है। स्थापित कानून के तहत जो व्यक्ति दूसरे राज्य से स्थानांतरित हो गया है, उसे केवल मूल राज्य में ही आरक्षण का लाभ मिलेगा। हाईकोर्ट ने शनिवार को बिहार की एक महिला, जो शादी के बाद झारखंड आयी थी उसके आरक्षण के दावे को खारिज कर कर दिया।

JSSC ने कहा

सुनवाई के दौरान जेएसएससी की ओर से कहा गया कि रीना कुमारी राणा का जन्म बिहार में हुआ है, इसलिए उसे झारखंड में आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला दिया है।

कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जिस राज्य में किसी व्यक्ति का जन्म हुआ है, उसे उसी राज्य में आरक्षण मिलेगा। भले ही उसकी जाति को प्रवासी राज्य में आरक्षण का लाभ दिया जा रहा हो।

जेएसएससी ने उम्मीदवारी की रद्द

शिक्षक नियुक्ति परीक्षा में सफल होने के बाद रीना को प्रमाणपत्र सत्यापन के लिए बुलाया गया। जब उन्होंने प्रमाणपत्र पेश किए, तो उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी गयी। जेएसएससी ने बताया कि महिला ने पति के आधार पर एसटी का जाति प्रमाणपत्र जमा किया था। जेएसएससी ने कहा कि उसे आरक्षित श्रेणी का लाभ नहीं मिलेगा और उसकी उम्मीदवारी सामान्य श्रेणी में शामिल होगी। इसके बाद रीना ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

रीना का कहना है कि उनकी शादी झारखंड में हुई है। उनके पति झारखंड में आरक्षित श्रेणी में आते हैं। गोड्डा के अनुमंडल पदाधिकारी ने उन्हें जाति प्रमाणपत्र जारी किया है। इसलिए वह झारखंड में आरक्षण की हकदार है। कोर्ट ने फैसले में कहा कि अगर कोई महिला बिहार में या किसी दूसरे राज्य में आरक्षित श्रेणी में है, लेकिन उसकी शादी झारखंड में हुई है तो उसे आरक्षण नहीं मिलेगा।

गोड्डा के एसडीओ ने जारी किया था जाति प्रमाणपत्र

रीना कुमारी राणा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया था कि वर्ष 2016 में झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग शिक्षक नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला था। इसमें रीना राणा भी शामिल हुई थी। उन्होंने विवाह के बाद झारखंड में रहने का दावा किया था और एसटी जाति का प्रमाणपत्र बनाने का आवेदन दिया था।

गोड्डा के अनुमंडल पदाधिकारी ने प्रमाणपत्र भी जारी कर दिया । एकीकृत बिहार के समय से झारखंड में रहने वाले व्यक्ति का यदि मूल निवास वर्तमान में बिहार है, तो उसे भी झारखंड में लाभ नहीं मिलेगा। जिन लोगों का मूल निवास झारखंड होगा उन्हें ही यहां लाभ मिलेगा।

अदालत की मुख्य बातें

  • आरक्षित श्रेणी की महिला की शादी दूसरे राज्य में हुई है, तो उसे आरक्षण का लाभ नहीं
  • जो मूल राज्य है, उसी में मिलेगा आरक्षण का लाभ
  • स्थानांतरित राज्य के अधिकारी से जाति प्रमाणपत्र जारी होने के बाद भी नहीं कर सकते दावा • स्थानांतरित राज्य के अधिकारी से जाति प्रमाणपत्र जारी होने के बाद भी नहीं कर सकते दावा

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