IPS BK Singh: 1994 बैच के IPS बिनोद कुमार सिंह को गुवाहाटी एयरपोर्ट के लाउंज में महिला कर्मी से छेड़छाड़ करने के आरोप के बाद वापस यूपी भेज दिया गया है। बिनोद कुमार सिंह को 4 साल के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) के रूप में नियुक्त किया गया था। गुवाहाटी एयरपोर्ट के रिजर्व लाउंज में तैनात महिला कर्मी ने एडीजी बिनोद कुमार सिंह पर छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए अधिकारियों से शिकायत की थी, जिसके बाद गुवाहाटी के पुलिस उपायुक्त को पूरे मामले की जांच करने को कहा गया था।

पुलिस की शुरुआती जांच में मामला सही पाया गया। इसके बाद वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने माफी मांगी। महिला ने भी शिकायत वापस ले ली। वहीं, अब आईपीएस बीके सिंह का ट्रांसफर हो गया है। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए ADG बिनोद कुमार सिंह (बीके सिंह) को भारत सरकार ने वापस उत्तर प्रदेश भेज दिया है। स्पेशल डीजी CRPF जैसे महत्वपूर्ण पद से बीके सिंह को 9 महीने में ही हटाकर यूपी वापस भेजने के पीछे गुवाहाटी एयरपोर्ट पर तैनात महिला कर्मचारी से की गई छेड़खानी और हाथ पड़कर जबरन गले लगाने की कोशिश बड़ी वजह बताई जा रही है।

बता दें कि उत्तर प्रदेश में एडीजी पीएसी, एडीजी सिक्योरिटी जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे 1994 बैच के IPS एडीजी बिनोद कुमार सिंह 14 जून 2023 को ही डेपुटेशन पर भारत सरकार गए थे। डेपुटेशन पर जाने के करीब 2 महीने के इंतजार के बाद बीके सिंह को CRPF की North East Frontier का स्पेशल डीजी बनाकर गुवाहाटी में पोस्ट किया गया था, लेकिन पोस्टिंग के 9 महीने में ही बीके सिंह की एक महिला कर्मचारी से की गई छेड़खानी की शिकायत के बाद अब उन्हें वापस भेज दिया गया है।

दरअसल, गुवाहाटी के गोपीनाथ बारडोली इंटरनेशनल एयरपोर्ट के अफसर उत्पल बरुआ ने बीते 18 मार्च 2024 को गुवाहाटी के डीसीपी वेस्ट को एक लिखित शिकायत भेजी। इस शिकायत में उत्पल बरुआ ने लिखा कि बीते 16 मार्च को सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट राजवीर सिंह द्वारा एयरपोर्ट अथॉरिटी से एडीजी बीके सिंह को वीआईपी लाउंज में रोकने के लिए पत्र भेजा गया था, लेकिन लाउंज में उनके द्वारा महिला कर्मचारी से गलत बर्ताव किया गया।

18 मार्च को एक महिला कर्मचारी के द्वारा लिखित शिकायत की गई थी जिसमें लिखा था, “नीले रंग की T-shirt पहने बिनोद कुमार सिंह रिसेप्शन डेस्क पर आए और मेरे साथ मेरी जॉब और फैमली के बारे में बात करने लगे। वह लगातार मुझे देख रहे थे जिससे मुझे परेशानी हो रही थी। इसके बाद उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि तुम बहुत प्यारी हो, तुम्हारे दांत, तुम्हारे होंठ बहुत प्यारे हैं।”

महिला कर्मचारी ने अपनी शिकायत में आगे कहा, “उन्होंने मुझसे अपना मोबाइल नंबर लेने को कहा और बोला कभी भी भविष्य में कोई परेशानी हो तो वह मुझे कह सकती है। वह उनकी पूरी मदद करेंगे। वह मुझे गले लगाना चाहते थे. मैंने मना किया तो उन्होंने टाइट हग के लिए दोबारा जोर डाला। मैंने दोबारा मना किया तो उन्होंने कहा टाइट हग नॉर्मल है, जिस पर मैंने साफ मना किया तो बीके सिंह डेस्क एरिया में अंदर आ गए।

मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचने लगे, जिसके बाद मैंने उनसे ऐसा करने से रोकने के लिए कहा. इस बीच प्रोटोकॉल स्टाफ भी लाउंज में आ गया और वह भी समझ गया कि कुछ गड़बड़ थी. इसके बाद मेहमान बीके सिंह फोन पर बात करते हुए लाउंज से बाहर चले गए। 18 मार्च को एयरपोर्ट अथॉरिटी की तरफ से मिली शिकायत पर गुवाहाटी के डीसीपी वेस्ट ने इस मामले की जानकारी पुलिस कमिश्नर गुवाहाटी को भेजी. मामला एयरपोर्ट पर महिला कर्मचारी से छेड़खानी का था. लिहाजा, इस मामले में गुवाहाटी पुलिस के द्वारा प्रारंभिक जांच के आदेश दिए गए।

एडिशनल डीसीपी मोईत्रायी डेका ने इस मामले में 21 मार्च को अपनी जांच रिपोर्ट पुलिस कमिश्नर गुवाहाटी को सौंप दी। जांच रिपोर्ट के मुताबिक, बीके सिंह ने एयरपोर्ट अथॉरिटी द्वारा शिकायत करने के बाद 19 मार्च को एयरपोर्ट ऑफिसर उत्पल बरुआ को व्हाट्स ऐप कॉल कर माफी मांगी और कहा वह भविष्य में अब ऐसा नहीं करेंगे।

प्रारंभिक जांच पूरी होने के बाद गुवाहाटी के पुलिस कमिश्नर ने 27 मार्च को आईपीएस बिनोद कुमार सिंह (एडीजी सीआरपीएफ) पर लगे आरोप की जांच रिपोर्ट असम के DGP जीपी सिंह को भेज दी। माना जा रहा है कि गुवाहाटी के इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर एक महिला कर्मचारी के साथ आईपीएस बीके सिंह के द्वारा की गई इस हरकत की शिकायत भारत सरकार से की गई और इसके बाद ही बीके सिंह को यूपी वापस भेज दिया गया है।

राजनाथ सिंह के OSD रह चुके हैं
केंद्रीय एजेंसी में प्रतिनियुक्ति पर आने वाले आईपीएस अफसर आमतौर पर पांच वर्ष तक काम करते हैं। किन्हीं खास परिस्थितियों में उन्हें दो वर्ष का विस्तार मिल जाता है। उत्तर प्रदेश सरकार में अपने कार्यकाल के दौरान बीके सिंह की छवि एक दबंग अधिकारी की रही। उनकी गिनती सरकार के भरोसेमंद अधिकारियों में होती है। उन्होंने यूपी में एडीजी सुरक्षा के पद पर भी काम किया है। वे केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह के ओएसडी भी रहे हैं।

इन परिस्थितियों में प्रतिनियुक्ति पर आने वाला आईपीएस लौटता है अपने मूल कैडर
दरअसल, सामान्य तौर पर ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है कि प्रतिनियुक्ति पर आने वाला आईपीएस अधिकारी एक साल की समय सीमा पूरी होने से पहले ही अपने मूल कैडर में लौट जाए। इस तरह का आदेश दो ही परिस्थितियों में देखने को मिलता है। पहला, राज्य सरकार द्वारा किन्हीं विशेष कारणों के चलते आईपीएस अधिकारी को प्रतिनियुक्ति से वापस बुलाया जाए। इसमें यह भी संभव होता है कि उस अधिकारी को राज्य में बड़ा और अहम पद सौंपा जाना हो। उनके अनुभव विशेष का इस्तेमाल होना हो। दूसरा, किसी आईपीएस के खिलाफ कोई बड़ी शिकायत रही हो। कोई वित्तीय धोखाधड़ी का मामला हों या छेड़छाड़ जैसा गंभीर आरोप लगा हो।

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