रांची। शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के निधन पर झारखंड की राजनीति में एक शून्यता आ गयी है। उस शून्यता को ना सिर्फ डुमरीवासी महसूस कर रहे हैं, बल्कि वो खालीपन पारा शिक्षको को भी महसूस कर रहे हैं। पारा शिक्षकों को अपने शिक्षा मंत्री से काफी उम्मीदें थी। खुद शिक्षा मंत्री ने 2024 में बड़ी सौगात देने के संकेत पारा शिक्षकों को दिया था, जाहिर है अब जब वो इस दुनिया में नहीं हैं तो शिक्षक वर्ग अपने आप को अनाथ सा महसूस कर रहा है। शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो का बीते गुरुवार को चेन्नई के अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया था।

इस बात में कोई शक नहीं कि शिक्षक और खासकर पारा शिक्षकों के लिए शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने काफी काम किया था। बहुत ही सीधे सपाट कहने के आदी जगरनाथ अपने विभाग की कमियों को खुलकर स्वीकारते भी थे और उसकी सुधार की कोशिश भी करते थे। पारा शिक्षकों के स्तर को सुधारने में जगरनाथ महतो का काफी अहम योगदान था। उनके द्वारा पारा शिक्षकों को सहायक अध्यापक के पद से सुशोभित करने के साथ-साथ झारखंड के विद्यालयों को सभी आवश्यक भौतिक संसाधनों से युक्त कर चिन्हित विद्यालयों को उत्कृष्ट विद्यालय बनाने का प्रयास सराहनीय रहा।

पारा शिक्षकों ने खुद श्रद्धांजलि सभा में शिक्षा मंत्री को याद करते हुए कहा था कि शिक्षा मत्री ने उनके लिए बहुत कुछ किया है. हमारे लिए वो हमेशा सोचा करते थे और हमारी परेशानी को समझकर समाधान निकालने का प्रयास करते थे. हमारे अभिभावक के छोड़कर जाने से हमें लग रहा है कि हम अपंग हो गए है, हमलोग टूअर हो गए है। पारा शिक्षकों को उम्मीद थी कि शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो उनके लिए भविष्य में भी बहुत कुछ करेंगे. लेकिन वो असमय ही दुनिया से विदा हो गये।

जगरनाथ महतो ने उनसे कहा था कि साल 2024 में वो पारा शिक्षकों के लिए कुछ बड़ा करने की सोच रहे है। हालांकि, उन्होंने साफ तौर पर नहीं बताया था लेकिन कहा था कि इंतजार करिए, आपलोग के लिए कुछ अच्छा और बड़ा करेंगे. लेकिन वो बीच में ही छोड़कर चले गए. ऐसे में उनका आश्वासन और योजना दोनों अधूरी रह गयी। अब पारा शिक्षकों को अपने भविष्य का डर सता रहा है कि आखिर उनके बारे में आगे क्या कुछ होने वाला है।

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