Can one drink alcohol and go to vote? वोटिंग के 48 घंटे शराब बिकनी बंद हो जाती है। शराब दुकानों से लेकर बार, रेस्टोरेंट यहां तक की क्षेत्र के मिलिट्री कैंटिंन तक में शराब नहीं मिलती। ऐसे चुनाव के वक्त कई लोगों के जेहन में शराब को लेकर कई तरह के सवाल होते हैं। सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या कोई शख्स वोटिंग के दिन अपने घर में भी शराब नहीं पी सकता है? अगर शराब पी कर वोट डालने जाता है तो क्या पुलिस उस शख्स को गिरफ्तार कर सकती है? क्या उस वोटर को वोट देने से भी रोका जा सकता है? इन सारे सवालों का जवाव जानने से पहले यह जान लें कि शराब पीना गुनाह नहीं है। हां, ये बात जरूरी है कि शराब पीकर गलत व्यवहार अगर आप करते हैं, जिससे दूसरों को दिक्कत होती है, तो वह गलत है। अमूमन लोग शराब पीकर गाड़ी चलाते हैं तो मोटर व्हीनकल एक्ट 1988 की धारा-185 के तहत कार्रवाई होती है. लेकिन, चुनाव के दौरान अगर आप इस तरह का वर्ताव करते हैं तो आप पर आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के साथ-साथ आईपीसी एक्ट के तहत भी मामला दर्ज हो सकता है।

घर में शराब पीने पर क्या कार्रवाई हो सकती है?
चुनाव के पहले शराब बिकनी बंद हो जाती है। हालांकि ये रोक उन सभी स्थानों पर है, जहां मतदान हो रहा हो। लेकिन एक बात ये उठती है कि ठीक है, प्रशासन ने अल्कोहल पर बैन लगा दिया, लेकिन क्या वोटर घर पर शराब पीकर वोट देने जा सकता है? अगर ऐसा हो तो वहां मौजूद संबंधित अधिकारी क्या उसका वोट देने का अधिकार निरस्त कर सकते हैं, जैसा झूठा हलफनामा देने वाले उम्मीदवारों के साथ होता है? या फिर उसकी गिरफ्तारी भी हो सकती है?

हंगामा करें या नुकसान की आशंका हो, तभी एक्शन
यहां ये समझ लें कि हमारे यहां शराब पीना गैरकानूनी नहीं, जब तक कि नशे में आप किसी को या खुद को, या फिर किसी प्रॉपर्टी को नुकसान न पहुंचाएं. लेकिन जब भी आप ऐसा करते हैं तो कानून सख्त हो जाता है. मिसाल के तौर पर शराब पीकर गाड़ी चलाना जुर्म है. इससे डर रहता है कि आप कोई नुकसान कर देंगे. यही आशंका इतनी बड़ी है कि अगर कोई नशे में गाड़ी चलाए तो उसपर मोटर व्ही कल एक्टप 1988 की धारा-185 के तहत एक्शन हो सकता है।

विवाद पर होगा एक्शन
वोटर अगर शराब के नशे में मतदान केंद्र पहुंचे तो उसके नुकसान पहुंचाने का डर कहीं ज्यादा रहता है. हो सकता है कि वो अपना वोट मनचाहे उम्मीदवार की जगह किसी और को दे दे. ये भी हो सकता है कि वो नशे में मारपीट करे, या दूसरे लोगों को अपनी पसंदीदा पार्टी में वोट करने को कहे. या फिर अपनी पार्टी के नाम पर नारेबाजी, या विरोधी के खिलाफ कुछ बोलने लगे. इससे बाकी मतदाताओं पर असर पड़ता है।

कौन कर सकता है कार्रवाई
इसे ही रोकने के लिए नियम हैं. जैसे प्रिसाइडिंग अधिकारी के पास ये हक है कि वो जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 131 के तहत ऐसे हुड़दंगी पर कार्रवाई कर सके. उसे जेल भी भेजा जा सकता है. पोलिंग स्टेशन पर मौजूद सुरक्षा अधिकारी खुद भी एक्शन ले सकते हैं. इलेक्शन में मतदान के दौरान 48 घंटों तक शराब बिक्री पर पाबंदी रहती है. इस दौरान अगर कोई शराब की दुकान या बार खुली रहे, या फिर कहीं भी शराब की भारी मात्रा आती-जाती दिखे तो इसकी शिकायत निकटस्थ पुलिस स्टेशन में की जा सकती है. हालांकि अगर कोई चुपचाप अपने घर पर अल्कोहल ले और वोटिंग के दौरान हंगामा किए बगैर मतदान करे तो इसपर कोई जुर्म नहीं बनता. चूंकि शराब रिश्वत का एक रूप रही तो इलेक्शन की तारीख का एलान होते ही चुनाव आयोग एक्शन में आ जाता है।

हर खबर आप तक सबसे सच्ची और सबसे पक्की पहुंचे। ब्रेकिंग खबरें, फिर चाहे वो राजनीति...