रांची: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति 2016 मामले में याचिका दाखिल करने वाले अभ्यर्थियों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसको लेकर मंगलवार को झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने 245 अभ्यर्थियों की सूची जारी कर दी है।

इन अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों की जांच 14 और 15 दिसंबर को नामकुम में स्थित आयोग कार्यालय में होगा। इसके अलावा आयोग ने 37 वैसे याचिकाकर्ता की सूची जारी किया है जिनका रोल नंबर एवं आवेदित विषय उपलब्ध नहीं है। ऐसे अभ्यर्थियों को झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने झारखंड उच्च न्यायालय रांची में दायर IA की स्थापित प्रति के साथ अपने प्रवेश पत्र की प्रति आयोग कार्यालय में 13 दिसंबर तक जमा करने को कहा है। जिससे इनके दावे का सत्यापन कर आगे की कार्यवाही हो सके। झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा जारी सूची में सबसे ऊपर सोनी कुमारी का नाम है, जिन्होंने इस केस में मामला दर्ज किया है। जिसके बाद हाईकोर्ट की लार्जर बेंच और सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होती रही जो काफी सुर्खियों में रही।

9 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

2 दिसंबर को अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को अब तक नियुक्त हुए अभ्यर्थियों के अंतिम कटऑफ को आधार मानकर इस केस के सभी पेटीशनर की मेघा सूची तैयार करने का निर्देश दिया था। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह उपस्थित हुए थे। सरकार की ओर से जाने-माने अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा था। इस मामले की अगली सुनवाई 9 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में होनी है।

ये है पूरा मामला

 2016 की नियोजन नीति के तहत झारखंड के 13 अनुसूचित जिलों के सभी तृतीय व चतुर्थ वर्गीय पदों को उसी जिले के लिए स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित किया गया था। वहीं गैर अनुसूचित जिले में बाहरी अभ्यर्थियों को भी आवेदन करने की छूट दी गई थी। इसी नीति के तहत वर्ष 2016 में अनुसूचित जिलों में 8,423 और गैर अनुसूचित जिलों में 9,149 पदों पर हाई स्कूल शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गई थी। 13 अनुसूचित जिले के सभी तृतीय और चतुर्थ वर्गीय पदों को उसी जिले के लिए स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित किए जाने के विरोध में झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट की लार्जर बेंच ने 21 सितंबर 2020 को राज्य सरकार की नियोजन नीति और हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति विज्ञापन को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुनाते हुए नियोजन नीति को असंवैधानिक बताते हुए उसे निरस्त कर दिया था। हाई कोर्ट ने 13 जिलों में नियुक्त शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द करते हुए गैर अनुसूचित जिलों की नियुक्ति को बरकरार रखा था। हाई कोर्ट के लार्जर बेंच के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थी सत्यजीत कुमार एवं अन्य की ओर से एसएलपी दायर की गई। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2 अगस्त को इस मामले में फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार और जेएसएससी को प्रकाशित अंतिम मेधा सूची को आधार मानकर राज्यस्तरीय मेरिट लिस्ट जारी कर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने को कहा था

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