रायपुर । छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोरबा, सरगुजा व बस्तर जिले में वहीं के स्थानीय निवासियों को ही नौकरी देने के फैसले को हाईकोर्ट ने असंवैधानिक घोषित कर दिया है। राज्य सरकार ने 17.01. 2012 तो अधिसूचना जारी कर कोरबा, सरगुजा और बस्तर संभाग में स्थानीय निवासियों को तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नियुक्ति देने का फैसला लिया था। 2012 से इन संभागों में बहीं के स्थानीय निवासी की नियुक्ति हो रही था, लेकिन उक्त अधिसूचना के निरस्त होने के बाद सभी लोग इन जगहों पर नियुक्ति पाने के हकदार हो जायेंगे। साथ ही इन संभागों में सहायक शिक्षकों की नियुक्ति पर रोक भी कोर्ट ने हटा ली है।

याचिकाकर्ता सुशांत शेखर धराई और उमेश श्रीवास्तव ने अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव के माध्यम से याचिका प्रस्तुत कर बताया था कि छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा 17.01.2012 को संविधान की पांचवी अनुसूची के शक्तियों का प्रयोग करते हुए आदेशित किया है कि बस्तर, सरगुजा संभाग के लिए तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के पदों के लिए उसी संभाग के स्थानीय निवासी पात्र होंगे। उक्त आदेश 2 साल के लिए जारी किया गया ता, जिसे समय-समय पर बढ़ाया गया एवं वर्तमान में 2023 तक लागू है। बस्तर सरगुजा के साथ कोरबा के लिए भी ये अधिसूचना लागू की है। उक्त अधिसूचना को उक्त याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव के माध्यम से जुलाई 2020 में उच्च न्यायालय में रिट याचिका प्रस्तुत कर बताया गया कि संविधान के अनुच्छेद 16 के तहत राज्य के किसी भी नागरिक को धर्म, जाति, जन्म स्थान व लिंग के आधार पर नौकरी में विभेद नहीं किया जा सकता है।

प्रत्येक नागरिक को राज्य में नियुक्ति प्रक्रिया में भाग लेने का समान अधिकार है। यदि निवास के आधार पर विशेष परिस्थिति में आरक्षण करना है तो उक्त अधिकार मात्र संसद को है। योग्यता दरकिनार कर मात्र निवास के आधार पर किसी भी व्यक्ति से विभेद नहीं किया जा सकता एवं इस कारण राज्यपाल द्वारा जारी अधिसूचना असंवैधानिक है। इस याचिका के जवाब में राज्य शासन ने कहा कि संविधान की 5वीं अनुसूची के तहत आरक्षण देने का विशेष अधिकार है। एवं अनुसूचित क्षेत्र के विकास के लिए राज्यपाल एवं शासन इस प्रकार का निर्णय ले सकती है।

सुनवाई के चीफ जस्टिस और जस्टिस गौतम चौड़रिया की डबल बैंच ने निर्णय दिया कि संविधान की पांचवी अनुसूची के तहत राज्यपाल मुलभूत अधिकार को कम नहीं कर सकते हैं। जब संविधान ने सभी नागरिकों को समान रूप से रोजगार के अवसर दिये हैं तो उक्त अधिकार को अनुसूची 5 के तहत कम नहीं किया जा सकता। एवं विशेष परिस्थिति में आवश्यक हो तो संसद ही अनुच्छेद 16(3) के तहत निवास के आधार पर आरक्षण दे सकती है। किंतु राज्य शासन या राज्यपाल को ये अधिकार नहीं है। इसलिए कोरबा, सरगुजा, बस्तर संभाग में वहीं के स्थानीय निवासियों को ही तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नियुक्ति देने की अधिसूचना दिनांक 17.01.2012 एवं उसके पश्चात इस अधिसूचना को आगे बढ़ाने के लिए जारी समस्त अधिसूचना को असंवैधानिक घोषित कर निरस्त की जाती है।

2700 सहायक शिक्षकों की भर्ती पर रोक हटी

हाईकोर्ट के इस निर्देश के बाद अब 2700 शिक्षकों की नियुक्ति का रास्ता भी खुल गया है। 19 मार्च 2019 को पूरे राज्य के लिए सहायक शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया था। भर्ती प्रक्रिया पूरी होने कौ दौरान जनवरी 2020 में राज्य सरकार के परिपत्र का हवाला देकर कोरबा, सरगुजा व बस्तर संभाग के अभ्यर्थियों ने वहीं के स्थानीय निवासियोंको ही नियुक्ति देने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें प्रारंभिक सुनवाई के बाद इन संभागों में सहायक शिक्षकों की नियुक्ति पर रोक लगा दी गयी थी। बाद में स्थानीयों को नियुक्ति देने की अधिसूचना को अलग याचिका से चुनौती दी गयी थी और दोनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की गयी । प्रकरण के अंतिम सुनवाई के बाद अन्य याचिकाओं में अधिसूचना को ही हाईकोर्ट ने असैंवाधानिक घोषित कर दिया है। इस फैसले के आधार स्थानीय निवासियों की याचिका निरस्त कर दी गयी है। इस फैसले से 2700 शिक्षकों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है।

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