रांची/डुमरी। ..हमर तो भगवान हलो टाईगर! कबो कोनो काम में ना नाई करलो….अब टाईगर जइसन नेता कहां मिलतो… पीतांबर महतो ये कहते कहते फूट-फूटकर रोने लगते। पीतांबर को डुमरी क्षेत्र का एक कार्यकर्ता हैं। सिर्फ पीतांबर ही क्यों? शंभू…नागेंद्र जैसे कई युवा के आंसू थम नहीं रहे हैं। जगरनाथ महतो का अपने कार्यकर्ताओं के प्रति इतना स्नेह था, कि हर कोई उन्हें दिल से अपना मानता था। टाईगर ने भी हमेशा अपनों से बढ़कर अपने कार्यकर्ताओं को प्यार किया।

टाईगर के निधन पर पूरा झारखंड स्तब्ध है। जब आज वो हमारे बीच नहीं है, तो पूरा झारखंड उनके व्यक्तित्व को याद कर रहा है। जगरनाथ महतो की जीवटता की कोई सानी नहीं है…फिर चाहे बात उनकी सेहत की हो या फिर सियासत की… वो हमेशा लड़े और कई दफा जीते भी। उनकी एक बात जो राजनीति में सबसे अच्छी कही जाती थी, वो था उनका समर्पण। वो जिसके भी साथ रहे, समर्पित होकर काम किया। 2000 में वो पहली बार डुमरी सीट से विधानसभा चुनाव लड़े. लेकिन वो लालचंद महतो से हार गए. 2005 में वो दूसरी बार विधानसभा चुनाव लड़े. इस बार उन्हें जीत हासिल हुई और पहली बार विधायक बने. 2009 विधानसभा चुनाव में उन्हें फिर जीत हासिल हुई. 2014 लोकसभा चुनाव में जेएमएम उन्हें गिरिडीह से लोकसभा का टिकट दिया. वो दूसरे स्थान पर रहे. 2014 विधानसभा चुनाव में वो फिर डुमरी से लड़े. उन्होंने जीत की हैट्रिक लगाई. फिर 2019 में भी लोकसभा का चुनाव लड़े और हार गए लेकिन 2019 में विधानसभा चुनाव जीतकर चौथी बार विधायक बने।

हारकर भी हार नहीं मानना ही टाईगर की पहचान थी


समता पार्टी के साथ राजनीति करने वाले जगरनाथ महतो विनोद बिहारी के निधन के बाद जब राज किशोर महतो गिरिडीह से सांसद बने, तो उनका दामन थामा। दोनों झारखंड आंदोलन में खुलकर काम किया। जब साल 2000 में झारखंड अलग हुआ तब समता पार्टी की टिकट पर इन्होंने चुनाव लड़ा। तब भाजपा प्रत्याशी लालचंद महतो से शिकस्त खानी पड़ी। इसके बाद जगरनाथ महतो कि नजदीकियां जेएमएम सुप्रीमों के साथ बढ़ी। उन्होंने जेएमएम का हाथ थामा। हाथ ऐसा थामा कि पूरा जीवन झारखंड मुक्ति मोर्चा को दे दिया। झारखंड मुक्ति मोर्चा की टिकट पर साल 2014 में विधानसभा चुनाव लड़े और जिस फूलचंद महतो से हारे थे, उन्हें राजनीतिक पटखनी दी। इसके बाद फिर मुड़ कर नहीं देखा। न केवल विधानसभा बल्कि उन्होंने लोकसभा का चुनाव भी लड़ा। जेएमएम के टिकट पर 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ा तब भाजपा के रवींद्र पांडे से हारे। फिर 2019 में लड़े तब एनडीए प्रत्याशी चंद्रप्रकाश चौधरी हारे।

मोदी लहर में भी डटे रहे जगरनाथ महतो


विनोद बिहारी महतो के निधन के बाद लगातार राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय रहे. पहली बार साल 2000 में समता पार्टी के बागी उम्मीदवार के रूप में डुमरी विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा का चुनाव लड़ा. और 20500 वोट हासिल किया. चुनाव में हार के बाद वो झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल हुए. और साल 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में डुमरी विधानसभा क्षेत्र से भारी वोटों से बहुमत पाकर विजय हुए. इस प्रकार 2009 में वे दोबारा डुमरी विधानसभा क्षेत्र से बतौर विधायक चुने गए. तथा 2014 और 2019 में भी उनका सामना करने वाला कोई विधायक का उम्मीदवार उनके चुनावी मैदान में नहीं था, जो उन्हें हरा सके. 2014 और 2019 में भी डुमरी विधानसभा क्षेत्र से भारी मतों से विजय हुए. लगातार डुमरी विधानसभा क्षेत्र से वे 4 बार विधायक बने. 2019 में जेएमएम की सरकार बनी जिसमें उन्हें बतौर स्कूली शिक्षा और मद्य निषेध मंत्री का पदभार दिया गया.

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