गाजियाबाद। हैलो ! मैं सुप्रीम कोर्ट का जज बोल रहा हूं।….जज बनकर अधिकारियों को कॉल और मैसेज करने वाला एक गिरोह पुलिस के चंगुल में फंसा है। ये शातिर अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट का जज बनकर काल करता था और अपने अलग-अलग काम करवाता था। जिस मामले में डीएम को फोन किया गया था, वो दरअसल एक होटल का नक्शा पास कराने को लेकर था। उत्तराखंड एसटीएफ ने जब इस मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया तो पता चला कि ये काल किसी जज ने नहीं, बल्कि एक गैंग ने किया था। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।

आरोपी की पहचान नोएडा के रहने वाला मनोज के रूप में हुई है। दरअसल ये फर्जीवाड़ा राजनगर एक्सटेंशन के बड़े होटल का नक्शा पास कराने के लिए किया जा रहा था। GDA की तरफ से नक्शा को बार-बार रिजेक्ट किया जा रहा था, जिसके बाद नगर नियोजक राजीव रतन के पास कई अलग-अलग नंबरों से WhatsApp काल और चैटिंग की गयी। काल करने वाले खुद को दिल्ली हाईकोर्ट का जज बताया और होटल का नक्शा पास करने को कहा।

हद तो तब हो गयी, जब एक नंबर से सुप्रीम कोर्ट का जज बताकर सीधे उपायुक्त को ही फोन कर दिया गया और मैसेज भेजकर होटल का नक्शा पास करने को कहा। पुलिस ने में इस मामले में रिपोर्ट दर्ज करायी गयी थी। उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स ने उन नंबरों की जांच की और फिर से व्हाट्सएप कॉल और मैसेज भेजने वाले युवक को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी ने बताया कि आर्किटेक्ट और अन्य लोग भी इस मामले में शामिल थे।

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