स्वास्थ्य विभाग : धनबाद के पूर्व सिविल सर्जन डॉ गोपाल दास की मुश्किलें बढ़ी….. गलत जांच रिपोर्ट मामले में पेंशन में होगी 20% कटौती, पढ़े सरकार के फैसले….

धनबाद धनबाद के पूर्व सिविल सर्जन डॉक्टर गोपाल दास की बोकारो के दुग्दा निवासी बबलू सिंह की पत्नी सोनी कुमारी के मौत प्रकरण में मुश्किलें बढ़ गई है। सोनी की मौत मामले में डॉक्टर दास पर गलत जांच रिपोर्ट बनाने और आरोपी चक्रवर्ती नर्सिंग होम के पक्ष में साक्ष्य छुपाकर उसे क्लीन चिट देने का आरोप है । इस मामले में सरकार 7 वर्षों तक उनकी पेंशन की राशि में 20% की कटौती करने की तैयारी में है । इसको लेकर डॉक्टर दास को उत्तरी छोटानागपुर क्षेत्रीय उपनिदेशक ,स्वास्थ्य सेवाए ने शो कोज़ किया है । डॉ दास से 20 जुलाई तक जवाब मांगा गया है। वर्तमान में डॉक्टर दास सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

क्या है पूरा मामला

बबलू सिंह की पत्नी सोनी कुमारी को धनबाद के चक्रवर्ती नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया था । यहां इलाज के दौरान उनकी तबीयत बिगड़ने पर 11जून 2019 को बीजीएच अस्पताल बोकारो रेफर किया गया था। बीजीएच अस्पताल बोकारो 12 जून 2019 को मेडिका रांची रेफर किया। 24 जून 2019 को मेडिका रांची में सोनी की मौत हो गई थी। सोनी के पति बबलू सिंह का आरोप है चक्रवर्ती नर्सिंग होम में इलाज के दौरान लापरवाही के कारण उसकी पत्नी की मौत हो गई । इसको लेकर मेडिका द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेज और बबलू ने साक्ष्यों के आधार पर मामले की लिखित शिकायत की थी ।आरोप है कि धनबाद के सिविल सर्जन पद पर रहते डॉ गोपाल दास ने उनके मामले की जांच की और बबलू सिंह द्वारा उपलब्ध कराएं साक्ष्य को नजरअंदाज करते हुए चक्रवर्ती नर्सिंग होम को क्लीन चिट दे दी थी। प्रशासन की ओर से तत्कालीन एडीएम (लॉ एंड ऑर्डर) की जांच में सिविल सर्जन की रिपोर्ट गलत पाई गई । इसके बाद दो बार राज्य स्तरीय टीम ने मामले की जांच कराई थी, इस टीम की जांच रिपोर्ट में भी डॉक्टर दास की जांच रिपोर्ट को गलत बताया था । इसके बाद उनके खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही थी इसी बीच डॉक्टर दास सेवानिवृत्त हो गए ।

स्पष्टीकरण का जवाब असंतोषजनक

डॉ दास से पूर्व में भी दो बार स्पष्टीकरण किया जा चुका है , इनके द्वारा जवाब भी दिया गया उनके जवाब पर अधिकारियों ने असंतोष जताते हुए तीसरी बार स्पष्टीकरण किया है। इसमें कहा गया है कि सोनी देवी की मौत प्रकरण के जांच में अनियमितता बरते जाने के मामले में क्यों नहीं झारखंड पेंशन नियमावली के तहत 7 वर्षों तक उनकी पेंशन राशि से 20% राशि काटी जाए।

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