रांची। झारखंड की सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का ऐसे ही बंटाधार नहीं हुआ है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था को पलीता लगाने में विभाग की भी बड़ी भूमिका है। पिछले दिनों खुद शिक्षा मंत्री ने इस बात को स्वीकार किया था कि प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में हेडमास्टर ही नहीं है। शिक्षा विभाग के ही आंकड़े बताते हैं कि मात्र 130 प्रिंसिपल के भरोसे प्राइमरी व मध्य विद्यालय संचालित हो रहे हैं।

प्रदेश में मिडिल स्कूलों में प्राचार्य के कुल 3226 पद सृजित हैं, जिनमें से 3096 पद खाली पड़े हैं, जबकि सिर्फ 130 प्रिंसिपल ही प्राथमिक और मध्य विद्यालय में कार्यरत हैं। हद तो ये है कि सिर्फ प्रदेश के 5 फीसदी स्कूलों में ही स्थायी प्राचार्य हैं, बाकि के स्कूल प्रभार में चल रहे हैं।

प्रधानाचार्य का पद प्रशासनिक होता है, लिहाजा स्कूलों में प्राचार्य की नियुक्ति नहीं होने से ना सिर्फ स्कूलों में व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही है, बल्कि स्कूलों में शैक्षणिक और अन्य गतिविधियां भी प्रभावित होती है। हालांकि अब शिक्षा विभाग में प्रधान पाठक के पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।

खुद शिक्षा मंत्री इस दिशा में गंभीर है, माना जा रहा है कि प्रधान पाठक के पदो को भरने की प्रक्रिया भी झारखंड में जल्द शुरू की जाये। इसे लेकर कई बार शिक्षक संगठनों ने भी पहल की थी। प्रदेश के 24 जिलों की बात करें तो सात जिलों के मीडिल स्कूल में एक भी नियमित प्राचार्य नहीं हैं। हजारीबाग,  रामगढ़, साहेबगंज, चतरा, सरायकेला, लोहरदगा और पाकुड़ में एक भी स्थायी प्राचार्य नहीं है। जबकि सिमडेगा, जामताड़ा, कोडरमा, पश्चिमी सिंहभूम, सहित पांच जिलों के लिए सिर्फ एक स्थाई प्रधानाध्यापक हैं।

हर खबर आप तक सबसे सच्ची और सबसे पक्की पहुंचे। ब्रेकिंग खबरें, फिर चाहे वो राजनीति...