जयपुर। शिक्षकों की भर्ती से जुड़ी एक बड़ी खबर है। राजस्थान सरकार शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया बदलने जा रही है। अब अलग-अलग एग्जाम देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। शिक्षा विभाग एक एंट्रेंस टेस्ट पॉलिसी तैयार कर रहा है। इसके तहत अलग-अलग ग्रेड और सब्जेक्ट में टीचर्स की भर्ती की जाएगी। राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने किया है। उन्होंने कहा- सरकार गवर्नमेंट और प्राइवेट स्कूलों की यूनिफॉर्म एक जैसी करने की भी तैयारी कर रही है। इसे जल्द ही लागू कर दिया जाएगा।

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा- शिक्षा विभाग में नौकरी के लिए युवाओं को भविष्य में अलग-अलग टेस्ट नहीं देने होंगे। हमारी सरकार इसको लेकर प्लानिंग तैयार कर रही है। वैसे फिलहाल जो प्रक्रिया है, इसमें अलग-अलग टेस्ट देने के साथ बीएड भी करनी होती है। उसके बाद भी एक और टेस्ट होगा। उसके बाद जाकर नौकरी लगेगी। उसमें संशोधन होना चाहिए। मुझे लगता है। इसकी जगह एक बार परीक्षा होनी चाहिए। इसमें ग्रेड फर्स्ट, ग्रेड सेकेंड, ग्रेड थर्ड के साथ अलग-अलग सब्जेक्ट के टीचर्स का सिलेक्शन किया जाए।

इसके साथ ही उसकी मेरिट भी तैयार हो। उन्हें बीएड करके आने के बाद परमानेंट किया जा सकता है। दिलावर ने कहा- मेरे मन में यह विचार इसलिए आया क्योंकि मैं अलग-अलग परीक्षाओं में युवाओं को परेशान होता देखता था। बीएड करने के बाद भी उनकी नौकरियां नहीं लग रही थी। उनके परिवार पर क्या बीतती होगी। क्योंकि, इन परीक्षाओं के चक्कर में उनके जीवन के तीन से चार साल बर्बाद हो जाते हैं। अगर उनकी पहले ही नौकरी तय हो जाए। उसके बाद अगर उनका प्रशिक्षण होगा। उनके जीवन के तीन से चार साल बर्बाद होने से बच जाएंगे।

शिक्षा मंत्री ने कहा- जब मेरे सेक्रेटरी को इस दिशा में काम करने के लिए कहा था तो उन्होंने मुझे कहा कि यह आइडिया तो काफी यूनीक है। इसके बाद मैंने उनसे कहा कि मुझे यूनीक काम ही करना है। देश में कभी न कभी कोई न कोई तो इस तरह की शुरुआत करेगा ही। फिर हम यह क्यों नहीं कर सकते हैं। ऐसे में जल्द ही इसको लेकर कोई नीति तैयार हो जाएगी, जिसे जल्द ही राजस्थान में लागू किया जाएगा।

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा- राजस्थान के सरकारी और प्राइवेट स्कूल की यूनिफॉर्म में एकरूपता होनी चाहिए। सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले गरीब तबके के बच्चे जब बड़े स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की यूनिफॉर्म देखते हैं। उनमें हीन भावना आ जाती है। यही हीन भावना उन्हें जीवन में आगे बढ़ने से भी रोकती है। उन्हें लगता है, मेरे मां-बाप गरीब हैं। इसलिए मैं यह विचार कर रहा हूं कि प्राइवेट और सरकारी स्कूलों की यूनिफॉर्म एक जैसी होनी चाहिए। उसमें जूते, मौजे, शर्ट, पेंट समेत पूरी यूनिफॉर्म एक जैसी होगी। इसको लेकर हमने तैयारी शुरू कर दी है।

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