नयी दिल्ली। डिब्बा बंद यानी पैकेजिंग सामानों को लेकर नया नियम नये साल से लागू हो गया है। नये नियम के मुताबिक डिब्बा बंद किए हुए सामानों पर मैन्यूफैक्चरिंग की तिथि के साथ प्रति ईकाई बिक्री मूल्य लिखना होगा। इस नियम के लागू होने के उपभोक्ताओं को खरीदे जाने वाले उत्पाद के बारे में पहले से ज्यादा जानकारी मिलेगी और वे सही निर्णय ले पाएंगे।

उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा है कि सभी डिब्बा बंद कमोडिटीज पर मैन्यूफेक्चरिंग की तारीख और प्रति इकाई बिक्री मूल्य सोमवार यानी एक जनवरी से लिखना अनिवार्य हो गया है। अभी तक डिब्बा बंद उत्पादों पर ‘मैन्यूफैक्चरिंग की तारीख’ या ‘आयात की तारीख’ अथवा पैकेजिंग की तारीख प्रकाशित करना वैकल्पिक था। मैन्यूफैक्चरिंग की तारीख प्रकाशित होने से उपभोक्ताओं को यह जानने में मदद मिलेगी कि पैक की गई वस्तु कितनी पुरानी है। इससे वे सोच-विचार कर खरीदारी का निर्णय कर सकेंगे।

इसी प्रकार, प्रति इकाई बिक्री मूल्य होने से उपभोक्ताओं के लिए वस्तु की लागत का पता लगाना आसान हो जाएगा। उदाहरण के लिए 5किलोग्राम के पैकेट बंद गेहूं के आटे में अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) के साथ प्रति किलो इकाई बिक्री मूल्य भी प्रकाशित होगा। इसी प्रकार, एक किलो से कम मात्रा वाले डिब्बा बंद उत्पाद के पैकेट पर बिक्री मूल्य प्रति ग्राम होगा। साथ ही उत्पाद की कुल एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) भी होगी।

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नोटिस के अनुसार, अब कंपनियों के लिए सामान के ‘प्रति इकाई बिक्री मूल्य’ के साथ केवल ‘मैन्यूफैक्चरिंग की तारीख’ प्रकाशित करना अनिवार्य किया गया है। उपभोक्ता मामलों के सचिव सिंह ने पीटीआई को बताया कि चूंकि पैकेट बंद सामान की बिक्री विभिन्न मात्राओं में की जाती है, ऐसे में महत्वपूर्ण है कि उपभोक्ता डिब्बा बंद सामान की प्रति इकाई बिक्री कीमत से अवगत हों, जिससे वह सभी जानकारी के साथ सोच-विचार कर वस्तु खरीद सके।

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