Mafia don Mukhtar Ansari crime Biography : माफिया मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत हो गई है। जेल में दिल का दौरा पड़ने के बाद मुख्तार अंसारी को बांदा मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया गया था। जहां पर उसने दम तोड़ दिया। माफिया के भाई और मौजूदा सांसद अफजाल अंसारी सूचना मिलते ही बांदा पहुंच गए और भाई मुख्तार अंसारी का हाल जाना. मुख्तार पर यूपी, पंजाब और दिल्ली में संगीन धाराओं में 65 से ज्यादा मामले दर्ज थे। यूपी पुलिस के अनुसार, मुख्तार पर गाजीपुर, वाराणसी, चनौली, आजमगढ़, मऊ, सोनभद, लखनऊ, बाराबंकी और आगरा में लूट, डकैती, अपहरण,रंगदारी और हत्या से संबंधित धाराओं में मामले दर्ज थे।

मुख्तार अंसारी के खिलाफ दर्ज किए गए 65 मामलों में से 21 मुकदमें की सुनवाई विभिन्न अदालतों में विचाराधीन है। मुख्तार को आठ मामलों में कोर्ट से सजा सुनाई जा चुकी थी। जिसकी सजा वह जेल में रहकर काट रहा था। लेकिन हम आपको माफिया मुख्तार अंसारी के मुकदमों से लेकर राजनीति तक उनसे पूरी करियर के बारे में बता रहे हैं।

मुख्तार अंसारी ने अंतिम बार 2017 में मऊ सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था. इस चुनाव के दौरान नामांकन में दाखिल किए गए शपथपत्रों के अनुसार देश की अलग-अलग अदालतों में मुख्तार अंसारी के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, दंगे भड़काने, आपराधिक साजिश रचने, आपराधिक धमकियां देने, संपत्ति हड़पने और धोखाधड़ी करने के साथ ही सरकारी काम में बाधा डालने समेत कुल 16 मुकदमें दर्ज हैं।

36 साल पुरानी अपराध की दुनिया

हालांकि बीते दिनों ही उन्हें करीब 36 साल पुराने गाजीपुर के फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए कोर्ट) अवनीश गौतम की अदालत ने मुख्तार अंसारी को सजा सुनाई थी. इसी अदालत ने ही 5 जून 2023 को अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

मुख्तार को अब तक सात मामलों में सजा मिल चुकी है. जबकि आठवें मामले में दोषी करार दिया गया है. जिस मामले में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. उसमें उनपर आरोप था कि दस जून 1987 को दोनाली कारतूसी बंदूक के लाइसेंस के लिए जिला मजिस्ट्रेट के यहां प्रार्थना पत्र दिया गया था. जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर से संस्तुति प्राप्त कर शस्त्र लाइसेंस प्राप्त कर लिया गया था. इस मामले पर स्थानीय लोग बताते हैं कि यही उनके खिलाफ दर्ज किया गया पहला मामला था।

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अपराधिक इतिहास

इस फर्जीवाड़ा का उजागर होने पर सीबी-सीआईडी द्वारा चार दिसंबर 1990 को मुहम्मदाबाद थाना में मुख्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत पांच नामजद एवं अन्य अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था. हालांकि दूसरी ओर उनके वकील श्रीनाथ त्रिपाठी ने कहा कि घटना के समय उसकी उम्र सिर्फ 20 से 22 वर्ष थी. उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं था।
मुख्तार अंसारी के खिलाफ 2010 में कपिल देव सिंह की हत्या और 2009 में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में मीर हसन नामक व्यक्ति की हत्या के प्रयास मामले में आरोप साबित हो चुके हैं. इसके अलावा BJP विधायक कृष्णानंद राय के अपहरण और हत्या मामले में 10 साल की सजा काट रहे हैं. पिछले डेढ़ साल में इन सभी मामलों में उन्हें सजा सुनाई गई है।

राजनीतिक सफर

लेकिन उनका अपराध के साथ ही राजनीति के दुनिया में दबदबा रहा है. उन्होंने पहली बार 1996 में बीएसपी के टिकट पर जीत दर्ज की थी. इसके बाद वह 2002, 2007, 2012 और 2017 में विधायक बने थे. वह मऊ से विधायक रहे. 2002 और 2007 में वह निर्दलीय विधायक चुने गए थे. अभी इसी सीट पर उनके बेटे अब्बास अंसारी सपा के टिकट पर चुनाव जीते हैं.
मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह के बीच वर्चस्व की लड़ाई का किस्सा किसी से छिपा नहीं है. वहीं मुख्तार अंसारी का पूरी परिवार अभी राजनीति में सक्रिया है. भाई अफजाल अंसारी मोहम्मदाबाद से लगातार पांच बार विधायक रहे चुके हैं. अभी गाजीपुर से सांसद और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार हैं. मोहम्मदाबाद सीट से ही अभी मुख्तार के परिवार के मुन्नू अंसारी विधायक हैं.

कौन है मुख्तार अंसारी? कैसे अपराध की दुनिया में जमाया सिक्का

मुख्तार अंसारी गाजीपुर के मोहम्मदाबाद युसूफपुर के एक प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखता है. मंडी परिषद की ठेकेदारी को 1988 में लोकल ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या के मामले में मुख्तार का नाम पहली बार सामने आया. इसी दौरान त्रिभुवन सिंह के कांस्टेबल भाई राजेंद्र सिंह की हत्या बनारस में कर दी गई. इसमें भी मुख्तार का ही नाम सामने आया. 1990 में गाजीपुर जिले के तमाम सरकारी ठेकों पर ब्रजेश सिंह गैंग ने कब्जा शुरू कर दिया. अपने वर्चस्व को बनाए रखने के लिए मुख्तार अंसारी के गिरोह से उनका सामना हुआ.

1991 में चंदौली में मुख्तार पुलिस की पकड़ में आया. उस पर रास्ते में दो पुलिस वालों को गोली मारकर फरार होने का आरोप है. 1991 में कांग्रेस नेता अजय राय की हत्या के भी आरोप लगा. जिसमे अंसारी समेत पांच लोगों पर मुकद्दमा दर्ज कराया गया. इसके बाद सरकारी ठेके, शराब के ठेके, कोयला के काले कारोबार को बाहर रहकर हैंडल करना शुरू किया. 1996 में एएसपी उदय शंकर पर जानलेवा हमले में मुख्तार का नाम एक बार फिर सुर्खियों में आया.

1996 में मुख्तार पहली बार एमएलए बना, पांच बार विधायक रहा. 1997 में पूर्वांचल के सबसे बड़े कोयला व्यवसायी रुंगटा के अपहरण के बाद मुख्तार का नाम क्राइम की दुनिया में छा गया. कहा जाता है कि 2002 में ब्रजेश सिंह ने मुख्तार अंसारी के काफिले पर हमला कराया. इसमें मुख्तार अंसारी के तीन लोग मारे गए. अक्टूबर 2005 में मऊ में हिंसा भड़की. इसके बाद उस पर कई आरोप लगे, जिन्हें खारिज कर दिया गया.

इसी दौरान मुख्तार अंसारी ने गाजीपुर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. कहा जाता है राजनीतिक रसूख की लड़ाई में मुख्तार ने इसी दौरान बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की एके 47 से हत्या करा दी. 2010 में अंसारी पर राम सिंह मौर्य की हत्या का आरोप लगा. कृष्णानंद राय की हत्या के बाद मुख्तार अंसारी का दुश्मन ब्रजेश सिंह गाजीपुर-मऊ क्षेत्र से भाग निकला था.

साल 2008 में उसे उड़ीसा से गिरफ्तार किया गया था. 2008 में अंसारी को हत्या के एक मामले में एक गवाह धर्मेंद्र सिंह पर हमले का आरोपी बनाया गया था. 2012 में महाराष्ट्र सरकार ने मुख्तार पर मकोका लगा दिया था. मुख्तार के खि‍लाफ हत्या, अपहरण, फिरौती जैसे कई आपराधिक मामले दर्ज हैं. मुख्तार अंसारी पर कुल 60 से ज्यादा मामले दर्ज है, जिसमें अधिकतर मामले गाजीपुर के हैं.

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