बक्सर। जर्मन शेफर्ड डाग पिछले 11 दिनों से थाने में सजा काट रहा है। बक्सल के मुफस्सिल थाने में पुलिसकर्मी जर्मन शेफर्ड की तीमारदारी में जुटे हैं। लेकिन विदेशी नस्ल के इस डाग की खुराक जुटाने में पुलिसकर्मियों के हाथ पांव फूल रहे हैं। थाने में बंद डाग का गुनाह बस इतना है कि वो जिस कार में सवार था, उस कार में शराब की बोतलें रखी हुई थी। पुलिस अवैध शराब तस्करी के मामले में दो तस्कर सहित कार को भी जब्त किया है। उस कार में डाग भी था, लिहाजा उसे थाना लाया गया है और अब वो पुलिसवालों के लिए सरदर्द बन गया है।

जर्मन शेफर्ड डाग के लिए पुलिसकर्मियों को हर दिन अपनी जेबें ढीली करनी पड़ रही है। पुलिसकर्मियों का कहना है कि इस तरह के खर्च केलिए थाने का कोई फंड नहीं होता है। अब डाग को थाने में रखा गया है तो उसके खुराक के हिसाब से खाना देना होता है। लिहाजा पुलिसकर्मियों को आपस में ही पैसा इकट्ठा कर कुत्ते की देखभाल करनी पड़ रही है। खाने-पीने का ये डागी खूब शौकीन है, अगर खाने में थोड़ा लेट हुआ तो फिर भूंक-भूंककर सारे लोगों की नींद खराब कर देता है।

दरअसल 6 जुलाई को वाहन चेकिंग के दौरान गाजीपुर बोर्डर के पास एक कार से दो शराब तस्कर राम सुरेश यादव और भुवनेश्वर यादव को एक जर्मन शेफर्ड डाग के साथ पकड़ा था। दोनों तस्करों को तो पुलिस ने जेल भेज दिया, लेकिन डागी बेचारा पुलिसकर्मियों के माथे पड़ गया। अब उसकी देखभाल पुलिसकर्मियों को ही करनी पड़ रही है। थाने में डाग भी एक तरह से सजा ही काट रहा है। विदेश नस्ल के इस डाग का खानपान भी बिल्कुल अलग है, लिहाजा पुलिसकर्मियों को हर दिन 500-1000 रूपये अपनी जेब से खर्च करना प़ड़ रहा है।

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