रांची । देवघर एयरपोर्ट खुलने के साथ ही भारत के मानचित्र पर तेजी से तो उभर गया पर उसके साथ चर्चा और विवाद का बाजार भी गर्म हो गया। देवघर एयरपोर्ट में नाइट लैंडिंग शुरू नहीं होने तथा एयरपोर्ट के आसपास की ऊंची बिल्डिंग को तोड़ने से संबंधित याचिका पर शुक्रवार को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में बहस के दौरान कोर्ट ने मध्यस्थ नियुक्त करने को कहा है. यह मध्यस्थ जिनका मकान टूटना है और देवघर एयरपोर्ट लिमिटेड के बीच वार्ता और मुआवजा तय कराएगा. मकान मालिकों को कितना मुआवजा मिलेगा और कब तक उनका मकानों को तोड़ा जाना है आदि विषयों पर दोनों पक्षों से बातचीत कर 30 दिनों के भीतर मध्यस्थ को अपनी रिपोर्ट कोर्ट को देगा।

मालूम हो कि देवघर एयरपोर्ट के आसपास की सात ऊंची इमारतों को तोड़ने को लेकर देवघर जिला प्रशासन की ओर से मकान मालिकों को नोटिस जारी किया गया था. भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की ओर से देवघर एयरपोर्ट के सुचारू ढंग से संचालन करने एवं वहां नाइट लैंडिंग की सुविधा देने को लेकर अवमाननावाद याचिका दाखिल की गई है.

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय ने पक्ष रखा। वही केंद्र सरकार के अधिवक्ता प्रशांत पल्लव और पार्थ जालान ने पैरवी की. पूर्व की सुनवाई में ओर से कोर्ट को बताया गया था कि 7 मकानों को तोड़ा जाना है, उनकी ओर से देवघर एयरपोर्ट अथॉरिटी को एनओसी (NOC) दिया जा चुका है. डायरेक्टर देवघर एयरपोर्ट लिमिटेड ने डीजीसीए को रिपोर्ट दे दिया है.

हर खबर आप तक सबसे सच्ची और सबसे पक्की पहुंचे। ब्रेकिंग खबरें, फिर चाहे वो राजनीति...