रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार को देवघर के डीसी और मोहनपुर CO के खिलाफ तीखी नाराजगी दिखायी। जमीन के एक मामले पर कोर्ट इस कदर नाराज हुआ, कि रात 8 बजे कोर्ट में हाजिर होने का हुक्म दे दिया। हाईकोर्ट ने झारखंड के चीफ सिकरेट्री को भी इस बारे में निर्देश दिया कि अगर देवघर डीसी और मोहनपुर सीओ रात 8 बजे तक हाईकोर्ट में हाजिर नहीं होते, तो दोनों के खिलाफ वारंट जारी किया जायेगा। इधर, हाईकोर्ट का आदेश जारी हुआ, उधर कछुआ गति से जल रही देवघर की ब्यूरोक्रेसी को मानो पर लग गये। दौड़ते-भागते देवघर डीसी किसी तरह से हाईकोर्ट पहुंचे और सुनवाई में हिस्सा लिया।

दरअसल हुआ ये था कि देवघर जिले के मोहनपुर अंचल में याचिकाकर्ता अपनी जमीन को बेचना चाहता था। जमीन बेचने के लिए अंचल कार्यालय में एलपीसी के लिए वर्ष 2019 में आवेदन दिया था। अंचल कार्यालय से वक्त पर एलपीसी जारी नहीं किया गया, जिसकी वजह से याचिकाकर्ता अपनी जमीन को नहीं बेच पाया। उन्हें जमीन की रजिस्ट्री में भी काफी दिक्कत आ रही थी। इसके बाद याचिकाकर्ता ने परेशान होकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई हुई, जिसके बाद हाईकोर्ट के जस्टिस राजेश कुमार ने तीखी नाराजगी जताते हुए देवघर के उपायुक्त मंजूनाथ भजत्री और मोहनपुर के सीओ को रात 8 बजे तक सशरीर कोर्ट में हाजिर होने को कहा। उस वक्त दोपहर के 2 बज रहे थे। कोर्ट ने ये भी कहा अगर ये दोनों अफसर रात 8 बजे तक हाजिर नहीं होते हैं तो दोनों के खिलाफ वारंट जारी किया जायेगा। कोर्ट ने उसके बाद इस मामले में सुनवाई के लिए रात 8 बजे का वक्त रख दिया।

2 बजे कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 8 बजे का वक्त दिया था, ऐसे में देवघर से रांची की करीब 240 किलोमीटर की दूरी को 6 घंटे में पूरा कर पाना असंभव लग रहा था। लेकिन, कोर्ट के सख्त तेवर को देखकर किसी तरह दोनों अधिकारी दौड़ते भागते 240 किलोमीटर की दूरी 6 घंटे से भी कम वक्त में पूरी कर रांची पहुंचे और हाईकोर्ट में हाजिर हुए। रात में ही इस मामले में सुनवाई पूरी हुई।

रात 8 बजे से करीब 1 घंटे रात 9 बजे तक सुनवाई चली। अदालत ने इस दौरान कहा कि प्रार्थी शनिवार को LPC के लिए सीओ को आवेदन देंगे और CO 15 दिन के भीतर एलपीसी जारी करेंगे। ऐसा आदेश देते हुए अदालत ने याचिका को निष्पादित कर दिया। सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार से पूछा कि क्या लैंड पाजिशन सर्टिफिकेट यानि एलपीसी जारी करने से संबंधित कोई रजिस्टर मेंटन किया जाता है। इस पर राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता आशुतोष आनंद ने अदालत को बताया कि इस तरह का कोई रजिस्टर मेंटर नहीं होता है।  

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