रांची: वित्तीय वर्ष 2022-23 में मध्याह्न भोजन और समग्र शिक्षा अभियान के लिए केंद्र से चार माह की राशि नहीं मिली है। इससे मध्याह्न भोजन संचालन में परेशानी हो रही है। अगर जल्द राशि नहीं दी गयी, तो मध्याह्न भोजन बंद हो जायेगा। यह बात राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने मंगलवार को केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी से कही। गिरिडीह के बगोदर में कार्यक्रम के दौरान जगरनाथ महतो ने केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री से बात की।

केंद्रीय मंत्री ने भी दिखायी गंभीरता

राज्य को राशि नहीं मिलने के मामले को केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री ने गंभीरता से लिया। उन्होंने मंत्रालय के अधिकारियों से मामले में पूरी जानकारी ली। इसके बाद उन्होंने शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो को फोन किया. उन्होंने जगरनाथ महतो को बताया कि एक सप्ताह में राज्य को राशि उपलब्ध करा दी जायेगी. बजट की 75% राशि उपलब्ध करा दी जायेगी।

33 लाख बच्चों को मिलता है मिड-डे मील

राज्य के लगभग 41 हजार प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में 33 लाख से ज्यादा बच्चों को स्कूलों में ही दोपहर का भोजन उपलब्ध कराया जाता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार स्कूलों में मिड-डे-मील दिया जाना अनिवार्य है। इस योजना पर होनेवाले खर्च की 60 फीसदी राशि केंद्र सरकार और 40 फीसदी राशि राज्य सरकार देती है।

केंद्र सरकार देती है 60% राशि

मध्याह्न भोजन व समग्र शिक्षा अभियान के लिए 60 % राशि केंद्र सरकार व 40% राशि राज्य सरकार द्वारा दी जाती है। केंद्र सरकार द्वारा राशि देने के बाद भी राज्य सरकार अपने हिस्से की राशि देती है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए मध्याह्न भोजन का 630 करोड़ व समग्र शिक्षा अभियान का लगभग 2300 करोड़ का बजट स्वीकृत है।

सालान तय किया है 400 करोड़ का अतिरिक्त बजट

झारखंड सरकार ने मिड-डे-मील में बच्चों को हफ्ते में पांच दिन अंडा या फल देना अनिवार्य किया है और इसके लिए सालाना लगभग 400 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजट तय किया गया है। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से मिड-डे-मील की राशि नहीं मिल पाने की वजह से यह स्थिति उत्पन्न हुई है।

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