रांची । झारखण्ड राज्य के स्थापना के आज 23 वर्ष पूरे हुए । इस 23 वर्षो के दौरान राज्य में लगातार उथल पुथल रहा ।राज्य में विधानसभा नियुक्ति घोटाले ,jpsc jssc नियुक्तियों में धांधली ,खनन -कोयला लोहा बालू पत्थर के घोटाले तो हुए ही मनरेगा और राज्य सभा चुनावों में नोट फ़ॉर वोट के लिए भी राज्य की खूब बदनामी हुई । ये आरोप लगाया है अनुबंध कर्मचारी महासंघ के केंद्रीय समिति के सदस्य महेश सोरेन ने।

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा की इन 23 वर्षो में राज्य के तमाम पार्टियों के नेताओं विधायकों और मंत्रियों -मुख्यमंत्री का विचित्र का चाल चरित्र देखने को मिला ।नियुक्तियों में स्थानीयता ,बाहरी /भीतरी और संविदाकर्मियों के ज्वलंत मुद्दे को राजनैतिक दलों ने बड़ी ही चालाकी से जनता में परोस कर सत्ता तो प्राप्त की मगर इन समस्याओं का कोई समाधान नही हुआ ।

झारखण्ड में माननीयों और नौकरशाहों का सिर्फ एक ही काम पर दिलचस्पी दिखाई वह स्थायी कर्मियों का समय पर महंगाई भत्ता और माननीयों का समय समय पर वेतन भत्ता ,आवास सुविधाओं का पुनरीक्षण । राज्य के तमाम संविदाकर्मियों ने लम्बे समय तक आंदोलन किया मगर इनकी बातों को किसी भी सरकार ने गम्भीरता से नही लिया।

झारखण्ड में विकास आयुक्त की अध्यक्षता में संविदाकर्मियों की सेवा नियमित करने तथा विसंगतियों को सुधार के लिए कमिटि जरूर बनी मगर यह अफसरो की कमिटि बन कर रह गई और विगत 4 वर्षों में यह कमिटि अपने उद्देश्य से काफी दूर है। मगर बिहार में विकास आयुक्त की अध्यक्षता वाली कमिटि अपने उद्देश्यों को पूरा कर राज्य के 3 लाख संविदा कर्मियों की भलाई कर दी।

झारखण्ड राज्य अनुबंध कर्मचारी महासंघ झारखण्ड का मानना है कि झारखंड में वर्तमान हालत के लिए सत्ता रूढ़ दल और भ्र्ष्टाचार में लिप्त नेताओं औऱ अफसरों की जुगलबंदी जिम्मेवार है ।झारखण्ड की वर्तमान सरकार के क्रिया कलाप से सभी वर्गों में काफी आक्रोश है ।
हेमन्त सरकार के चुनाव पूर्व किये गए चुनावी घोषणा पत्र के वादे ,चुनावी सभा के वादे और संविदा संवाद की मंच से किये गए वादे सब हवा हवाई साबित हुआ ।

रघुवर सरकार में जनशिकायतों पर त्वरित कार्यवाही होती थी और इन शिकायतों पर समीक्षा और समाधान था ,मगर इस सरकार में जनशिकायतों और जनता के आवेदनों को कूड़ेदान में फेंक दिया जाता है ।अफसरों में कोई भय नही है बल्कि ये लोग अब नेताओं के लूट का पार्टनर बन गए हैं ।महासंघ ने अपनी नाराजगी हर स्तर पर सरकार को पहचाने का प्रयास किया मगर सरकार के कानों में जूं तक नही रेंगती है । माटी की सरकार ने झारखण्ड के युवाओं संविदाकर्मियों और आम जनता का भबिष्य माटी में मिला दिया ।

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