गोड्डा । झारखण्ड राज्य अनुबन्ध कर्मचारी महासंघ झारखण्ड के अनुसंघी इकाई झारखण्ड राज्य आंगनबाड़ी सेविका सहायिका संघ झारखण्ड जिला देवघर का प्रथम जिला सम्मेलन देवघर के न्यू हॉटल सभागार में सम्पन्न हुई ।
कार्यक्रम का उद्घाटन श्रीमती दीपिका पाण्डेय सिंह माननीय विधायक महागमा ने दीप प्रज्वलित कर किया ।
सम्मेलन की आगे की कार्यवाही राष्ट्रगान गाकर तथा देश की महान वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और सावित्री बाई फुले के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया गया

श्री महेश सोरेन सदस्य मगर्दर्शन मंडली सह प्रदेश उपाध्यक्ष झारखण्ड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ झारखण्ड ने कहा कि यह समय की मांग है कि देश के सभी कामगार एक मंच पर आकर केंद्र में कर्मचारी हितैषी सरकार बनाये इसके लिए संघर्ष को तेज करना होगा ।
श्री पाण्डेय कहा कि हम अनुबंध कर्मियों ने तो झारखण्ड सरकार को हर मोड़ पर सहयोग किया मगर कुछ दिनों से सरकार के काम काज से राज्य के तमाम संविदाकर्मियों में असंतोष पनप रहा है ।सरकार के साथ निरंतर संवाद नही होने के कारण उत्पन्न संवादहीनता से सरकार को भारी नुकसान होगी ।

श्रीमती दीपिका पाण्डेय सिंह ने अपने मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधन में कहा कि आप लोगों ने जो मुझे सम्मान दिया उसके लिए हम आभारी है ।जो भरोसा झारखण्ड राज्य अनुबंन्ध कर्मचारी महासंघ ने हमारे विधानसभा महागमा के विधानसभा सम्मेलन के मंच से महासंघ ने हम पर किया उसे मैंने पूरी ईमानदारी से वहन किया और आगे भी आपके भरोसे को टूटने नही दूंगी ।
मंच संचालन प्रदेश महासचिव राखी देवी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन रूबी कुमारी जिला अध्यक्ष झारखण्ड राज्य आंगनबाड़ी सेविका सहायिका संघ जिला देवघर ने किया ।


सम्मेलन में ये प्रस्ताव हुए पारित

पहला प्रस्ताव रूबी कुमारी जिला अध्यक्ष नेता राय जिला उपाध्यक्ष सोमा मुखर्जी जिला महासचिव वंदना को जिला सचिव पूनम सूरी कोषाध्यक्ष संयुक्त सचिव विद्या राय कोषाध्यक्ष निकहत परवीन जिला सक्रिय सदस्य कुमारी सुनीता सुशीला देवी कुमारी वंदना यादव प्रमिला यादव कांति देवी शोभा राजहंस जीवन लता सोरेन रोमा सिंह गार्गी दिव्या दुमका जिला अध्यक्ष सहनारा खातून उदय प्रकाश रवि केसरी

1.पोषण ट्रैकर एप पर हाजिरी और MIS:- आगनबाड़ी सेविकाओं के पास एंड्राइड मोबाइल नही है और यदि घर में किसी के पास है भी तो उससे नियमित सरकारी काम नही किया जा सकता है।चुंकि उस मोबाइल से खुद के बच्चें भी अनलाइन पढ़ाई करते हैं।ये खुद के बच्चों के भविष्य के साथ भी खिलवाड है।इस एप पर बच्चों के आकड़े ,हाजिरी खुद की उपस्थिति और मतदाता पुनरीक्षण कार्य सहित अन्य कार्य करने पड़ते है ।जिस पर नियमित नेट पैक रिचार्ज की आवश्यकता है ।इस लिए जरूरी है कि सरकार हमें एंड्राइड मोबाईल नेट डेटा पैक सहित उपलब्ध कराई जाए ।

2.मतदाता पुनरीक्षण कार्य (BLO) से मुक्ति :- इस कार्य मे आगनबाड़ी सेविकाओं को लगा देने से हमारा मूल कार्य , स्कूल पूर्व शिक्षा,पोषण टीकाकरण ,अनुदेशन प्रभावित हो जाता है ।इसके साथ इस कार्य को पूरा करने में ब्लॉक वगैरह का ज्यादा दौरा करना पड़ता है जिस पर आवागमन व्यय होता है ।यदि सरकार हमे यह काम सौंपती है तो मासिक व्यय के रूप में होने वाली राशि की भरपाई निर्वाचन आयोग से 10 हजार रुपए अतिरिक्त मासिक देकर हमे प्रोत्साहित करें तो हम अतिरिक्त समय में काम करने के लिए तैयार हैं।

3.पोषाहार क्रय की जिम्मेवारी से मुक्ति :- इस के कारण सेविका साल भर कर्ज में डूबी रहती है और ससमय नियमित पोषाहार राशि का भुगतान नहीं मिलने से उधार 6-6 माह तक चलाना भी संभव नहीं हो पाता है जिस कारण नियमित सालों भर नौनिहाल बच्चों को पोषाहार उपलब्ध नहीं हो पाता है।जिससे सुप्रीम कोर्ट का आदेश का पालन भी सही से नहीं हो रहा है।और जब भुकतान आता है तो ऑफिस के द्वारा अनावश्यक परेशान किया जाता है ।सरकारी दुकान से विभाग ही सामग्री उपलब्ध कराकर इन सारी समस्याओ से और हमे कर्ज और बदनामी से बचाएं ।

4.प्रत्येक महीने के 5वी तारीख तक मानदेय खाते में भुकतान हो :- ऐसा देखा जा रहा है कि हमलोगों का मानदेय महीनों बांकी रहता है और जब भुकतान होता है आधे अधूरे ऑफिस की मनमर्जी से किया जाता है ।
इसे नियमित करते हुए प्रत्येक माह के 5 वीं तारीख तक खाते में हस्तांतरण किया जाए तथा अन्य राज्य कर्मचारियों के समान पर्व त्यौहार के पूर्व मानदेय भुकतान हो।
5 . आँगनबाड़ी केंद्र मकान भाड़े का भुकतान :-जो आंगनबाड़ी भाड़े के मकान में संचालित हैं उसका भाड़ा लगभग 2 वर्षो से बकाया है ,मकान मालिकों द्वारा इसके लिए मकान खाली करने की धमकी दी जा रही है ,अतः बकाया मकान भाड़ा भुकतान किया जाए ।

6.सरकार और आगनबाड़ी को बदनाम करने वाले तत्वों पर कार्यवाही :-कुछ ऐसे असमाजिक तत्व हैं जो नकली पत्रकार ,सूचना अधिकारी ,राजनीति से प्रेरित कुछ जनप्रतिनिधियों द्वारा अवैध वसूली के लिए भयादोहन कर रहें वैसे तत्वों से सुरक्षा की व्यवस्था हमे दिया जाए ।
हम केंद्र के पारदर्शी तरीके से संचालन के कटिबद्ध हैं पर ऐसे लोगों की सुरक्षा की गारंटी सरकार से चाहते हैं .

7. रसोई गैस की व्यवस्था :-चौबीसों जिले में कुछ ऐसे परियोजना है जिसमे बिना गैस सिलेंडर के गैस चूल्हा आपूर्ति कर दिया गया है ।ऐसे परियोजनाओं को गैस सिलेंडर ऊपलब्ध कराया जाए ।

8.बाजार मूल्य के अनुसार सामग्रियों का दर निर्धारित करने हो :- आँगनबाड़ी केंद्रों में जो राशि उपलब्ध कराया जाता है वह वर्षो पूर्व निर्धारित है,वर्तमान में महंगाई में काफी तेजी आई है जिसके कारण सामग्री निर्धारित मात्रा में उपलब्ध नहीं हो पा रही है।और दुकानदार भोचर देने से भी कतरा रहें हैं,इस लिए बाजार अनुसार पोषाहार सामग्रियों का दर निर्धारित करते हुए उसी के अनुसार राशि उपलब्ध करायी जाए ताकि केंद्र सुचारू रूप से चल सके।

9:- मृत आगनबाड़ी कार्यकत्रियों के आश्रितों को लंबित बीमा राशि की भुकतान के सम्बंध में:- राज्य में लम्बे समय से कई जिलों में सेवा के दौरान मृत आगनबाड़ी कार्यकत्रियों का बीमा हितलाभ की राशि का भुकतान बकाया है ,वैसे सभी आश्रितों की सूची जिला से प्राप्त कर लंबित राशि का जल्द भुकतान किया जाए ।

10:- नए कार्य सौंपने के पूर्व संसाधन और प्रशिक्षण की व्यवस्था :- सरकार द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को अनेक नए नए कार्य सौप दिए जाते हैं उसके लिए जरूरी संसाधन और प्रशिक्षण की व्यवस्था नही कराई जाती है ।इस लिए आवश्यक है कि नए काम सौंपने के पहले जरूरी संसाधन की व्यवस्था की जाए ।

11. राज्यपाल द्वारा घोषित अवकाश के कैलेंडर के अनुसार आंगनबाड़ी कर्मियों को अवकाश मिले :-आंगनबाड़ी केंद्रों में राज्यपाल के निदेशानुसार घोषित अवकाश लागू नही है जिसके कारण यहाँ बहुत ही कम अवकाश है ।एक तरफ मानदेय बहुत ही कम उस पर न्यूनतम अवकाश से हम सभी अपने घरेलू कार्यो को समय पर नही कर पाते हैं ।
अतः राज्य कर्मियों के लिए राज्यपाल द्वारा घोषित अवकाश कैलेंडर के अनुसार आंगनबाड़ी कर्मियों को भी छुट्टी मिले ।

12. प्रतिकूल मौसम में विधालय के समान आंगनबाड़ी केन्द् भी बंद रहे :;जब कमी अत्यधिक गर्मी ,लू ,सर्द हवा ,शीत लहरी या वर्षा के कारण प्रतिकूल मौसम हो जो बच्चो के जान माल पर खतरा पैदा करे वैसी परिस्थितियों में विद्यालय बंद हो जाते हैं मगर आंगनबाड़ी चालू रखा जाता है ,अतः नौनिहालों के भविष्य को देखते हुए केंद्र इन परिस्थितियों में बंद रहे ।

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