धनबाद । जिले के नए सिविल सर्जन ने स्वास्थ्य विभाग को सुधारने कि कवायद शुरू कर दी है। जिसके पहले चरण में वर्षों से सिविल सर्जन कार्यालय में प्रतिनियुक्त कर्मचारियों पर कैंची चलाई है। मालूम हो की वर्षों से जमे लिपिक का स्थानांतरण किया गया था। परंतु बाद में कर्मी सांठ गांठ कर फिर से सिविल सर्जन कार्यालय में प्रतिनियुक्ति करा लिए थे।

सात कर्मियों की प्रतिनियुक्ति रद्द

सिविल सर्जन ने जारी आदेश में कुल सात कर्मी की प्रतिनियुक्ति रद्द की है। जिनमें लिपिक और स्वास्थ्य प्रशिक्षक शामिल हैं। मालूम हो की प्रतिनियुक्ति पर आए कर्मियों की महत्वपूर्ण विभाग पूर्व सिविल सर्जन दे रखे थे।

पूर्व सिविल सर्जन के आदेश पर उठ रही अंगुली

पूर्व सिविल सर्जन डॉ आलोक विश्वकर्मा ने कई ऐसे कर्मियों पर मेहरबानी दिखाई थी जिन्हें मालदार पोस्ट पर बैठा दिया गया था।कहा ये जा रहा है की प्रतिनियुक्ति कर्मियों से सिर्फ काम में सहयोग लिया जाना था परंतु उन्हें मलाई दार पोस्ट पर अपने स्वार्थ के लिए बैठा दिया गया।

जिन कर्मियों के तबादले आदेश पर निदेशक प्रमुख की है स्वीकृति उन्हें पूर्व सिविल सर्जन ने किया प्रतिनियुक्त

प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले भर के लिपिकों का तबादला निदेशक प्रमुख के आदेश पर हुआ था ,उन तबादला आदेश पर निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं की स्वीकृति प्राप्त की गई थी। उसके बावजूद पूर्व सिविल सर्जन ने मनमाने तरीके से इन कर्मियों की प्रतिनियुक्ति पुनः सिविल सर्जन कार्यालय में कर दी।

स्पष्ट है की जांच के घेरे में पूर्व सिविल सर्जन के उन सभी आदेश हैं जिन पर सिविल सर्जन ने मनमाने तरीके से इस तरह का आदेश जारी किया था। बहरहाल नए सिविल सर्जन ने जिस तरह के अपने सुझबुझ से प्रशासनिक अधिकार का इस्तेमाल किया है उससे साफ जाहिर है स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्ट्राचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति चलेगी।

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