रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव को पत्र लिखकर इस बात पर अपनी नाराजगी जताई है कि कई पत्राचार के बाद भी अब रेलवे के जरिए खनिज संपदा के परिवहन के मामले में प्रकाश आ रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि रेलवे ने लौह अयस्क को छोड़कर किसी भी खनिज के लिए अपने सॉफ्टवेयर को झारखंड इंटीग्रेटेड माइन्स एंड मिनिरल मैनेजमेंट सिस्टम यानी JIMMS पोर्टल से इंटीग्रेट नहीं किया है। इस बात को नीति आयोग पूर्वी क्षेत्रीय परिषद और कोयला मंत्रालय की बैठकों में उठाया जा चुका है। सीएम ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने कोयला मंत्री के साथ बैठक के दौरान खुद व्यक्तिगत रूप से इस बात को लेकर अनुरोध किया था।

रेलवे के अफसर करा रहे हैं अवैध ढुलाई

सीएम ने अपने पत्र में ईडी का जिक्र करते हुए कहा कि एजेंसी के मुताबिक पिछले 2 साल में साहिबगंज के 9 लोडिंग पॉइंट में 3,531 से भी अधिक रेलवे रैक से बिना चालान के पत्थर की धुलाई हुई है। अवैध परिवहन के रोकथाम के लिए और 2017 के अधिसूचित होने के बाद इसका अनुपालन रेल मार्ग से हो रहे खनिज परिवहन के लिए भी किया जाना है। इसको लेकर खान विभाग के सचिव की ओर से कई पत्राचार किए जा चुके हैं फिर भी सूचना मिल रही है कि रेलवे के माध्यम से बिना वैध चालान के खनिज की धुलाई हो रही है। यह सब बिना रेलवे पदाधिकारियों के संलिप्तता के संभव नहीं है। इस को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने अवैध खनन और रेलवे पदाधिकारियों की संलिप्तता की जांच के लिए उच्च स्तरीय जांच समिति के गठन के फैसला लिया है। उन्होंने रेल मंत्री से उम्मीद जताई है कि जांच समिति को सहयोग करने के लिए उनकी तरफ से रेलवे के पदाधिकारियों को निर्देशित किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में लिखा है कि झारखंड कई दशकों से अवैध खनन के दंश को झेल रहा है। उनके नेतृत्व में बनी सरकार ने ऑनलाइन माध्यम से खनिज प्रबंधन के लिए JIMMS प्रणाली लागू किया है। इसके जरिए ऑनलाइन परमिट चालान और सभी वैधानिक भुगतान किए जाते हैं। इसका असर भी हुआ है। राज्य सरकार के राजस्व में इजाफा हो रहा है। राज्य सरकार ने खनन कार्य को रेगुलेट करने और अवैध खनन की रोकथाम के लिए जीआईएमएमएस प्रणाली का इंटीग्रेशन सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय VAHAN और पथ निर्माण विभाग के टोल टैक्स और यूजर फी के लिए सृजित पोर्टल से कर दिया है। इसी वजह से सड़क मार्ग से खनिज परिवहन की उचित निगरानी की जा रही है। लेकिन रेलवे की ओर से काम नहीं हो रहा है।

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