छठ पूजा विशेष। हिंदू धर्म में छठ पर्व का विशेष महत्व होता है। छठ लोक आस्था का महापर्व है इसे प्रकृति का भी पर्व कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छठ चार दिवसीय पर्व के रूप में मनाया जाता है। ऐसे तो छठ पर्व खासतौर पर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है, लेकिन अब पूरे देश में होता है। इसी त्योहार में डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।

छठ पर्व नहाय खाय से शुरू होता है और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य पर इसका समापन होता है। ऐसे में छठ व्रत करने वाली छठ व्रती को कई कठिनाओं से होकर गुजरना पड़ता है। तब जाकर छठ व्रत का फल मिलता है। छठ पर्व को हिंदू धर्म का सबसे कठिन व्रत माना गया है। इस पर्व में भगवान सूर्य की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही व्रत में हर एक चीज को बारीकी से खास ध्यान रखा जाता है। ताकि किसी भी प्रकार की कोई गलती नहीं हो, वरना उसकी भरपाई जरूर करनी होती है।

चार दिवसीय महापर्व

पर्व की शुरुआत नहाय खाय से शुरू हो जाती है। दूसरे दिन खरना का व्रत किया जाता है। छठ पर्व में खरना का विशेष महत्व होता है। खरना के दिन छठ व्रती पूरे दिन निर्जला रहकर व्रत करती हैं। इस दिन तरह-तरह के पकवान बनाकर सूर्य देव और छठी मैया को प्रसाद चढ़ाया जाता है। प्रसाद का ग्रहण करना अपने आप में काफी विशेष महत्व रखती है। इसके बाद ही खरना करते हैं। लेकिन आप जानते हैं, खरना करते हुए छठ व्रती बंद कमरे में खरना क्यों करती हैं?

बंद कमरे में ही क्यों होता है खरना

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, छठ व्रती खरना के दिन बंद कमरे में खरना करती हैं। ऐसी मान्यता है कि खरना के दौरान छठ का व्रत करने वाली महिलाओं को किसी भी तरह की कोई आवाज सुनाई नहीं देना चाहिए। साथ ही किसी तरह की कोई बाधा भी उत्पन्न नहीं होना चाहिए। इसी कारण से जो छठ व्रती होती हैं वह शांति और श्रद्धा से बंद कमरे में खरना करती हैं।

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