पटना। बिहार में जातीय जनगणना को नीतीश कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। गुरुवार को हुई कैबिनेट में इस बार मुहर लगी, इससे पहले बुधवार को हुई सर्वदलीय बैठक में भी जातीय जनगणना पर सभी दलों ने हामी भरी थी। आज कैबिनेट में कुल 11 एजेंडों पर कैबिनेट की मुहर लगी। राज्य कैबिनेट ने 2022-23 के लिए राज्यों से जुड़े बीच वितरण और बीच उत्पादन योजना पर 150 करोड़ 98 लाख 78 हजार रुपये की मंजूरी दी।
कैबिनेट में इस बात का निर्णय लिया गया कि जातीय जनगणना का सारा खर्च सरकार देगी। इसके लिए आकस्मिक निधि से 500 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे। फरवरी 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। राज्य में जातीय जनगणना के साथ आर्थिक गणना भी की जायेगी।
इससे पहले कल सर्वदलीय बैठक में भी इस बात पर मुहर लग गयी थी, हालांकि उस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा था कि पहले कैबिनेट में चर्चा होगी, उसके बाद गणना शुरू की जायेगी। जातीय गणना के लिए सभी दलों को जानकारी दी जायेगी।
इस गणना का नाम जाति आधारित जनगणना दिया है। सभी 9 दलों ने इस पर फैसला लिया है। किसी भी प्रकार का इसमें मतभेद नहीं है। हम लोगों ने अपनी तरफ से केंद्र सरकार से भी अनुरोध किया था, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं मिला, इसलिए हमलोगों ने इसे खुद से कराने का फैसला लिया है।

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