रांची। झारखंड की कैबिनेट की अहम बैठक कल होने वाली है। ED के चक्रव्यूह और राजभवन के सस्पेंस से अगर-मगर में फंसी हेमंत सरकार के लिए कल की बैठक में काफी महत्वपूर्ण है। बैठक में दो दर्जन से ज्यादा फैसले पर मुहर लगेगी। मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग (समन्वय) के मुताबिक कैबिनेट की बैठक रांची में 10 नवंबर, 2022 को अपराह्न 2 बजे से होगी। यह बैठक झारखंड मंत्रालय (प्रोजेक्ट भवन) स्थित मंत्रिपरिषद् कक्ष में होगी। माना जा रहा है कि इस कैबिनेट में अनुबंधकर्मियों के नियमितिकरण पर भी फैसला हो सकता है। अनुबंधकर्मी काफी लंबे वक्त से नियमितकरण की मांग कर रहे हैं। खुद मुख्यमंत्री नियमितिकरण को लेकर सहमत है, लेकिन नियमावली अभी पूरी तैयार नहीं हुई है, लिहाजा नियमितिकरण पर अड़ंगा फिर से आ सकती है।

राज्या के 22 जिलों के 226 प्रखंडों को सुखाड़ घोषित कर दिया गया था। इसके तहत 30 लाख किसानों को सरकार ने 3500 रुपये के हिसाब से प्रति किसान सहायता राशि देने का निर्णय लिया है। इसपर कैबिनेट की बैठक में मुहर लगने की संभावना है। इसके अलावा राज्यर स्थािपना दिवस के मौके पर सीएम सारथी योजना, गुरुजी क्रेडिट कार्ड योजना, मुख्यमंत्री शिक्षा प्रोत्साहन योजना और एकलव्य स्किल स्कीम योजना का शुभारंभ होगा। इंडस्ट्रियल पार्क एंड लॉजिस्टिक पॉलिसी- 2022, इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी- 2022 और झारखंड एथेनॉल प्रोडक्शन प्रमोशन पॉलिसी-2022 को लांच करेंगे। इसकी मंजूरी भी मिल सकती है।

विशेष सत्र से ठीक एक दिन पहले कैबिनेट की बैठक बुलाई गई है जिसमें इन दाेनों मामलों के साथ-साथ लगभग एक दर्जन अन्य प्रस्तावों को भी कैबिनेट से स्वीकृति मिल सकती है। कई जिलों में 1932 में सर्वे नहीं हुआ था और ऐसे जिलों के लिए विधेयक में स्पष्ट रूप से उल्लेख किए जाने की बात कही जा रही है। दूसरी ओर झारखंड पदों एवं सेवाओं की नियुक्ति में आरक्षण अधिनियम 2022 हेतु विधेयक पर भी विचार हो सकता है। इसे विधानसभा से पारित कराकर राज्यपाल के माध्यम से केंद्र को भेजा जाएगा और उनसे आग्रह किया जाएगा कि इसे नौवीं अनुसूची में शामिल कर लिया जाए। ज्ञात हो कि नौवीं अनुसूची में शामिल होने के बाद किसी भी मामले को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती है। कैबिनेट की बैठक में स्थापना दिवस कार्यक्रम को लेकर भी कई महत्वपूर्ण निर्णयों को अंतिम रूप दिया जाएगा। झारखंड में स्थानीयता को परिभाषित करने के लिए फार्मूला तैयार कर लिया गया है और अब यह तय है कि जिन लोगों के अथवा उनके पूर्वजों के नाम 1932 के खतियान में शामिल होंगे, उन्हें ही स्थानीय माना जाएगा। दो माह पूर्व सितंबर में कैबिनेट में इससे संबंधित प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी गई थी।

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