रांची । झारखंड में ईडी की कार्रवाई तेज होते ही बड़े अधिकारियों की धड़कन बढ़ गई है. एजेंसी के द्वारा छापेमारी में बरामद डिजिटल उपकरणों से जांच की दिशा को नए आयाम मिल रहे है और नए नए खुलासे भी हो रहे है. जांच की दिशा को आगे बढ़ाते हुए ईडी ने अब सत्ता के करीबी विशाल चौधरी के घर से बरामद डिजिटल उपकरण की भी फॉरेंसिक जांच करवा रही है. जिससे उसमें मौजूद साक्ष्यों को एकत्र किया जा सके.

जानिए कौन है विशाल चौधरी

झारखंड कैडर के कई आईपीएस और आईएएस अधिकारियों से विशाल के बेहद करीबी रिश्ते रहे हैं. साधारण से परिवार से आने वाले विशाल चौधरी बिहार का मुजफरपुर का रहने वाला है. विशाल चौधरी को आईएएस राजीव अरुण एक्का का सबसे करीबी माना जाता है. विशाल चौधरी के दफ्तर का एक वीडियो वायरल होने के बाद ही राजीव अरुण एक्का को प्रधान सचिव के पद से हटा दिया गया था. बड़े अधिकारियों का अपने सिर पर हाथ पाकर विशाल ने रियल स्टेट के साथ-साथ कौशल विकास स्वास्थ्य, उत्पाद विभाग से जुड़े बड़े कारोबार में शामिल रहा है. इसके बाद धीरे धीरे विशाल कई आईएएस अधिकारियों का करीबी बन गया. साल 2012 में विशाल चौधरी ने विनायका फंडामेंटल रिसर्च एंड एजुकेशन सोसायटी की शुरूआत की थी. अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर विशाल ने झारखंड स्कील डेवलपमेंट मिशन के साथ एक एमओयू किया, जिसमें 3000 युवाओं को प्रत्येक वर्ष कौशल विकास से जोड़ना था.

अधिकारियों की बढ़ेगी मुसीबत

राज्य के कई आईएएस-आईपीएस अधिकारियों सहित कई राजनेताओं का करीबी रहे विशाल चौधरी के घर से बरामद डिजिटल उपकरण अब विशाल के करीबी अफसरों के लिए मुसीबत बनने वाले हैं. ईडी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पिछले विशाल चौधरी के घर में छापेमारी के दौरान बड़ी संख्या में डिजिटल उपकरण बरामद हुए थे, जिनमें मोबाइल, पेन ड्राइव, हार्ड डिस्क और दूसरे तरह के इलेक्ट्रानिक डिवाइस शामिल हैं.इन सभी डिजिटल उपकरण को एजेंसी के द्वारा फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है. जांच की रिपोर्ट आने के बाद एजेंसी को कई अहम सबूत हासिल होंगे. जानकारी के अनुसार डिजिटल उपकरणों में कई बड़े अधिकारियों सहित राजनेताओं के भी ऑडियो के साथ साथ वीडियो क्लिप भी मौजूद हैं. सभी डिजिटल उपकरण विशाल के अशोक नगर स्थित आवास में छापेमारी के दौरान बरामद किए गए थे.

विशाल चौधरी का नेटवर्क

विशाल चौधरी ने फ्रंटलाइन प्रोमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड भी रजिस्टर आफ कंपनीज में अपनी पत्नी श्वेता सिंह चौधरी, भाई त्रिवेणी चौधरी को निदेशक बताते हुए 25 मई 2009 को कंपनी खोली थी, कंपनी का रजिस्टर्ड पता मुजफ्फरपुर का है. ईडी के जांच में यह बात भी सामने आई है कि विशाल के द्वारा ही व्याम इंफो सेक्यूरिटी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड, व्याम इंफो सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड, एफजीएस कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, एफजीएस कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड और अन्य कंपनियों संचालन किया जाता था. कोविड के दौरान भी विशाल ने मेडिकल किट की सप्लायी कर करोड़ों की कमायी की थी. विशाल के घर से झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड में ई-ऑक्सन से जुड़े कागजात की की भी बरामदगी की गई थी, उस बिंदु पर भी ईडी की जांच पहले से ही जारी है.

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