दमोह। स्कूल में हिंदू छात्राओं को हिजाब पहनाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। मध्यप्रदेश के दमोह के गंगा-जमना स्कूल में ये शिकायतें आयी थी कि स्कूल में हिंदू बच्चियों को जबरन हिजाब पहनने को विवश किया जाता था। स्कूल में धर्म परिवर्तन की कवायद चल रही थी। हिंदूवादी संगठनों का आरोप है कि तीन शिक्षिकाओं का भी धर्म बदला गया था। हालांकि शिक्षिकाओं ने इससे इंकार किया है। इस मामले की शिकायत आने पर हिंदूवादी संगठनों ने स्कूल में जमकर हंगामा किया।

इस दौरान जिला शिक्षा अधिकारी के चेहरे पर कालिख भी पोत दी गयी। मंगलवार को जिला शिक्षा अधिकारी पर कुछ लोगों ने स्याही फेंक दी। शिक्षा अधिकारी का कहना है कि कुछ संदिग्धों ने यह हरकत की है। उन्होंने अचानक से स्याही फेंकी। मैं उनके नाम जानता हूं। वे गंगा-जमना मामले में यह सब कर रहे हैं, जबकि इस मामले में मेरा सीधा कोई लेना देना नहीं है।

इधर, हिजाब से शुरू हुआ गंगा जमना स्कूल का विवाद अब धर्मांतरण में बदल गया है। पिछले पांच दिनों से चल रहे हंगामे के बाद मंगलवार दोपहर स्कूल की तीनों शिक्षिकाएं कलेक्ट्रेट पहुंची। उन्होंने अपने मूल दस्तावेज स्थापना कक्ष में मौजूद अधिकारिकों दिखाए। इस दौरान उन्होंने धर्मांतरण जैसे आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि वे बालिग थीं और अपनी मर्जी से प्रेम विवाह करते हुए धर्म परिवर्तन किया है।

विवादों में आए इस स्कूेल पर धर्मांतरण कराए जाने का भी आरोप लगा है। जहां सबसे पहले हिज़ाब मामले का खुलासा हुआ। वहीं उसके बाद अल्लामा इकबाल के गीत के पश्चात अब 3 शिक्षकों के मतांतरण के मामले के बाद टेरर फंडिंग की भी जांच की मांग उठाई जा रही है। उल्लेखनीय है कि दमोह के गंगा जमुना स्कूल में जिस प्रकार से इस प्रकार की गतिविधियों के लगातार ही खुलासे सामने आ रहे हैं। उसी क्रम में शाला की प्राचार्य एवं शिक्षिकाओं द्वारा किए गए मतांतरण का मामला भी मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग के दल की जांच के उपरांत सामने आया और इस मामले में बाल कल्याण समिति के सदस्य एडवोकेट दीपक तिवारी ने जिस प्रकार से इस मामले की जानकारी दी उसमें अनेक प्रकार की और भी जानकारियां सामने आती जा रही हैं।

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