रांची। ओवर ड्यूटी से परेशान नर्सिंग स्टाफ के लिए जल्द ही अच्छी खबर आने वाली है। अब सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में पदस्थ नर्सों की ड्यूटी टाईम फिक्स रहेगी। एक दिन में वो अधिकतम 8 घंटे या एक सप्ताह में ज्यादा से ज्यादा 40 घंटे ही ड्यूटी करेगी। आपात स्थिति में अगर किसी दिन नर्स ने तय 8 घंटे से ज्यादा ड्यूटी की है तो, अगले दिन उन्हें छुट्टी देनी होगी । केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने नर्सों की कार्य अवधि और सुविधाएं तय करने के लिए गाइडलाइन तैयार की है। गाइडलाइन को राज्यों में भेजकर राज्य सरकार से इस पर आपत्तियां मंगायी गयी है। राज्यों से आये फिडबैक के बाद देश भर में इसे लागू करने वार विचार किया जायेगा।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन के मुताबिक नर्सों के सिर्फ समय में ही नहीं, बल्कि सुविधाओं में भी बढ़ोत्तरी करनी होगी। अस्पतालों में नर्सों के लिए अलग से रेस्ट रूम भी बनाया जाना जरूरी होगा, वहीं नर्सों को एनुअल हेल्थ चेकअप, जरूरी वैक्सीनेशन सहित अन्य सुविधाएं भी देनी होगी। अस्पतालों में अलग-अलग वाशरूम, चेंजिंग रूम, पेंट्री, लाकर की व्यवस्था भी करनी होगी। स्वास्थ्य केंद्रों में महिला के यौन उत्पीड़न अधिनियम 2013 के प्रावधाओं के अनुसार आंतरिक शिकायत समितियों का गठन भी आवश्यक रूप से करना होगा। नाईट ड्यूटी के दौरान नर्सों की सिक्युरिटी के भी आवश्यक इंतजाम करने होंगे।

नयी गाइडलाइन में ना सिर्फ नर्सों की सुविधाओं को बढ़ाने का प्रस्ताव है, बल्कि उनके स्वास्थ्य ज्ञान क्षमता को बढ़ाने का भी जिक्र है। गाइडलाइन में ये कहा गया है कि डाक्टर मरीज के इलाज में नर्सों की भी सलाह पर जरूर अमल करें।

अधिकांश अस्पताल में नर्सों की कमी

झारखंड में नर्सों की काफी कमी है। स्वास्थ्य विभाग के ही आंकड़े बताते हैं कि शासकीय स्वास्थ्य केंद्रों खासकर सदर अस्पताल में 87 प्रतिशत नर्सों की और 76 प्रतिशत पारा मेडिकल स्टाफ की कमी है। नर्सों की कमी की वजह से कार्यरत नर्सों पर ओवर ड्यूटी का दवाब काफी ज्यादा होता है। झारखंड में तो नर्सों से 12-12 घंटे की ड्यूटी लेने की भी खबरें आयी है। खासकर नाईट शिफ्ट में नर्सों की ड्यूटी 12 घंटे की हो जाती है।

पारा मेडिकल एसोसिएशन प्रस्तावित गाइडलाइन से सहमत

आल झारखंड पारा मेडिकल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार सिंह भी मानते हैं कि स्वास्थ्य केंद्रों में नर्सों की कमी है और उन पर काफी दवाब है। धर्मेद्र कुमार सिंह कहते हैं….

आज प्रदेश के स्वास्थ्य केंद्रों में नर्सो की कमी है, इस बात से तो कोई इंकार है ही नहीं। संख्या कम होने से उन पर काम का अत्यधिक दवाब भी है। मरीजों के अनुपात में संख्या कम होने की वजह से नर्सों पर हमेशा ओवर ड्यूटी का तनाव रहता है। छुट्टी और अन्य त्योहारों के वक्त तो और भी बढ़ जाता है। नर्सों के तनाव का असर उनकी ड्यूटी पर भी दिखता है। समय की पाबंदी और सुविधाओं की बढ़ोत्तरी का ऐसा कोई नियम लागू होता है, हमारा एसोसिएशन इसका स्वागत करेगा

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