बड़ी खबर: चार संतान की वजह से शिक्षक बर्खास्त, शिक्षा विभाग ने जारी किया आदेश, दो से अधिक बच्चे के चक्कर में गयी हाईस्कूल शिक्षक की नौकरी

Big news: Teacher sacked for having four children, education department issued order, high school teacher lost job due to having more than two children

Teacher News: चार बच्चे की वजह से एक हाईस्कूल शिक्षक की नौकरी चली गयी। शिक्षा विभाग ने उनकी बर्खास्तगी का आदेश जारी किया है। शिक्षक की नौकरी 2011 में हुई थी, करीब 14 साल बाद मामले में दोषी पाते हुए शिक्षा विभाग ने उनकी बर्खास्तगी का आर्डर जारी किया है। इस आदेश ने शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा दिया है। ये मामला छत्तीसगढ़ के बिलासपुर संभाग का है।

 

बिलासपुर मस्तूरी विकासखंड स्थित शासकीय हाई स्कूल सोन में पदस्थ पदस्थ शिक्षक नवरतन जायसवाल के बर्खास्तगी आर्डर ने हड़कंप मच गया है। शिक्षक पर आरोप है कि उन्होंने दो से अधिक जीवित संतान होने की जानकारी छिपाकर नौकरी हासिल की थी। इस मामले तीन साल से कार्रवाई चल रही थी, अब व्याख्याता को बर्खास्त कर दिया गया है।

 

विभाग की तरफ से मिली जानकारी के मुताबिक तीन साल लंबी जांच के बाद दोष सिद्ध होने पर 3 अप्रैल 2025 को यह कार्रवाई की गई। जिसमें छत्तीसगढ़ लोक शिक्षण संचालनालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए मस्तूरी विकासखंड के शासकीय हाई स्कूल सोन में कार्यरत व्याख्याता नवरतन जायसवाल को सेवा से बर्खास्त कर दिया है।

 

उन पर आरोप था कि उन्होंने नियुक्ति के समय अपने जीवित संतान की सही जानकारी छिपाई थी। यह मामला राज्य के सरकारी सेवा नियमों के उल्लंघन से जुड़ा है, जिसमें स्पष्ट रूप से प्रावधान है कि यदि किसी अभ्यर्थी की दो से अधिक जीवित संतान हैं और उनमें से कोई एक संतान 26 जनवरी 2001 या उसके बाद जन्मी हो, तो उसकी नियुक्ति अमान्य मानी जाएगी।

 

जानकारी के मुताबिक नवरतन जायसवाल की नियुक्ति वर्ष 2011 में शिक्षाकर्मी वर्ग-01 के पद पर हुई थी। उस समय उन्होंने नियुक्ति प्रपत्र में अपनी संतान की संख्या दो बताई थी। परंतु बाद में जांच में सामने आया कि उनके कुल चार जीवित संतान हैं, जिनमें से दो का जन्म 26 जनवरी 2001 के बाद हुआ है।

 

यह खुलासा होने के बाद मामला गंभीर हो गया और छत्तीसगढ़ लोक आयोग में वर्ष 2021 में इसकी शिकायत दर्ज कराई गई। शिकायत के आधार पर लोक शिक्षण संचालनालय ने मामले की जांच क्रमशः जिला शिक्षा अधिकारी, बिलासपुर और फिर संभागीय संयुक्त संचालक से करवाई। इस दौरान नवरतन जायसवाल को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया और उन्हें प्रतिरक्षा का अवसर प्रदान किया गया।

 

जवाब में उन्होंने यह तर्क दिया कि उन्होंने सामाजिक रूप से दो संतान गोदनामे के माध्यम से अन्यत्र सौंप दिए हैं, परंतु यह दलील संचालनालय ने अस्वीकार कर दी। विभाग का स्पष्ट मानना था कि संतान का जन्म और जीवित होना ही नियम के उल्लंघन की पुष्टि के लिए पर्याप्त है, गोदनामा इसका समाधान नहीं हो सकता।

 

तीन वर्षों तक चली इस जांच प्रक्रिया में कई स्तरों पर पत्राचार और सुनवाई हुई। अंततः सभी जांच रिपोर्ट में नवरतन जायसवाल पर लगे आरोप सिद्ध पाए गए, जिसके आधार पर 3 अप्रैल 2025 को उन्हें सेवा से बर्खास्त करने का आदेश जारी किया गया।

 

नवरतन जायसवाल की नियुक्ति 27 जून 2011 को शिक्षा कर्मी वर्ग-1 के पद पर जिला पंचायत बिलासपुर द्वारा की गई थी। उस समय की सेवा शर्तों के अनुसार, यदि किसी अभ्यर्थी की दो से अधिक जीवित संतान हों, और कोई संतान 26 जनवरी 2001 के बाद जन्मी हो, तो उसे सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य माना जाता था।हालांकि, 2017 में शासन ने यह प्रावधान समाप्त कर दिया था, लेकिन यह बदलाव भविष्य की नियुक्तियों और भविष्य में जन्म लेने वाली संतान पर लागू होता है। नवरतन जायसवाल की नियुक्ति 2011 की है, इसलिए यह छूट उन पर लागू नहीं होती।

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