धर्म न्यूज। दीपों का पर्व दीपावली के दो दिन बाद कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाईदूज का त्योहार भाई-बहन के स्नेह और प्रेम का प्रतीक माना गया है। भाईदूज को यम द्वितीया, भातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। भाई दूज के दिन बहन अपने भाई की खुशहाली के लिए व्रत रखती हैं और उनकी लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं. रक्षाबंधन की तरह ही भाइयों की कलाई पर धागा यानी मौली बांधकर टीका करती हैं और भाई अपनी बहनों को कुछ न कुछ उपहार देते हैं. कई जगह इसे भाई फोटा भी कहते हैं।

भाईदूज का महत्व

इस दिन बहनें अपने भाइयों के मस्तक पर तिलक लगाकर उनकी सुख-समृद्धि और दीर्घायु की कामना करती है। स्कंद पुराण में भातृ द्वितीया यानी भाई दूज के बारे में बताया गया है कि, कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन यमुना ने अपने घर में पूजन करके भाई यम यानी यमराज का सत्कार किया था और अपने हाथों से भोजन बनाकर भाई को भोजन करवाया था। भाई दूज के अवसर पर यमराज ने अपनी बहन यमुना को वरदान दिया था कि जो भी भाई यम द्वितीया के दिन अपनी बहन से टीका लगवाएगा और बहन के हाथों से बना भोजन करेगा उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा। ऐसी मान्यता है आज के दिन जो भाई-बहन मथुरा में यमुनाजी के विश्राम घाट पर स्नान करते हैं, उन्हें अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।

क्या है शुभ मुहूर्त

यदि आज आप भाई दूज मना रही हैं तो इस बार भाई दूज पर भाई के माथे पर तिलक करने के दो शुभ मुहूर्त बन रहे हैं. पहला शुभ मुहूर्त 15 नवंबर को सुबह 6 बजकर 44 मिनट से सुबह 9 बजकर 24 मिनट तक है. जबकि दूसरा शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 40 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजे तक है.

हर खबर आप तक सबसे सच्ची और सबसे पक्की पहुंचे। ब्रेकिंग खबरें, फिर चाहे वो राजनीति...