गर्मी में लू से ऐसे बचें !....खान पान का विशेष रखेंं ख्याल, नहाते वक्त इन चीजों को जरूर रखें ध्यान

रांची । पूरा देश लू का प्रकोप झेल रहा है। पारा 45 डिग्री के पार जा रहा है, एसी-कूलर सब फेल हो रहा है। इस मौसम में खान पान का ख्याल रखना बेहद जरूरी है। विशेषज्ञ कहते हैं, कि गरमी के मौसम में खाना काफी सादा और संतुलित होना चाहिये। खाने में हमेशा उन चीजों को शामिल करना चाहिये, जिसमें पानी की मात्रा ज्यादा हो। गरमी के मौसम में लू से बचने के लिए जरूरी है कि पानी की बहुलता शरीर में रहे। घर से बाहर निकलते वक्त पानी भरपूर पीकर निकले, जब भी मौका मिले, बीच-बीच में पानी लेते रहे।

गरमी के मौसम में खाने पर विशेष ख्याल इसलिए भी रखना जरूरी है कि पेट खाली रहने पर लू का प्रकोप ज्यादा रहता है, और ज्यादा खाना खाने से पेट संबंधी परेशानी का सामना करना पड़ जाता है। हमारी सेहत पर खान-पान और मौसम का बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में शरीर को त्रिदोषात्मक यानि वात, पित्त और कफ दोष माना गया है जिनके सामान्य अवस्था में रहने से शरीर स्वस्थ रहता है तथा इनमें बदलाव होने से बीमारी होती है ।

शासकीय आयुर्वेद कॉलेज, रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि गर्मियों में लू लगने के साथ ही दूषित जल या भोजन से पेट से संबंधित अनेक रोग जैसे उल्टी, दस्त, डायरिया, पीलिया और टायफाइड होने की संभावना रहती है। इसलिए बाजार में खुले में बिकने वाले पेय एवं खाद्य पदार्थों के सेवन में परहेज करना चाहिए । गर्मियों के मौसम में गरम, खटाई, तीखा, नमकीन, तला-भुना, तेज मिर्च-मसालेदार, उड़द दाल, मैदा और बेसन से बने खाद्य पदार्थों, फास्ट-फूड, मांसाहार और शराब का सेवन सेहत के लिए नुकसानदायक होता है। इसलिए इनका परहेज करना चाहिए। इस मौसम में शारीरिक स्वच्छता आवश्यक है, इसलिए सुबह और शाम ठंडे पानी से स्नान करना चाहिए।

डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि आयुर्वेद के अनुसार ग्रीष्म ऋतु में शरीर में पित्त दोष की अधिकता रहती है इसलिए व्यक्ति को पित्तशामक आहार और अनुशासित दिनचर्या का पालन करना चाहिए। चूंकि गर्मियों में सूर्य की तपिश बहुत ज्यादा होती है, फलस्वरूप लोगों में डिहाइड्रेशन, थकान, घबराहट और बेहोशी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। शरीर में पानी एवं अन्य इलेक्ट्रोलाइट्स मिनरल्स की मात्रा संतुलित रखने के लिए आयुर्वेद में हल्का, सुपाच्य, मधुर रस वाले स्वच्छ ठंडा या उबाले हुए तरल पेय पदार्थों के सेवन करने का निर्देश है। गर्मियों में पीसा जीरा और नमक मिलाकर मठा यानि छाछ, दही की लस्सी, दूध, कच्चे आम का जलजीरा, नींबू की शिकंजी या शरबत, घर में बनी ठंडाई, गन्ने का रस, बेल का शरबत, नारियल पानी, मौसमी एवं ताजे फलों का रस इत्यादि पीना चाहिए। गर्मियों के समय भोजन में पुराने जौ, पुराने चांवल, खिचड़ी, मूंग की दाल, गेहूं की रोटी, सत्तू, रायता, सब्जियों में चौलाई, करेला, बथुआ, मुनगा, परवल, भिंडी, तरोई, पुदीना, टमाटर, खीरा, ककड़ी, अदरक, प्याज, आंवला का मुरब्बा इत्यादि को शामिल करना चाहिए। इसके अलावा तरबूज, खरबूज, मौसंबी, संतरा, अनार, शहतूत, आंवला इत्यादि का प्रयोग हितकारी है।

डॉ. शुक्ला ने बताया कि गर्मियों के मौसम में सूर्योदय से पहले पैदल चलना, हल्का व्यायाम, योगाभ्यास और तैराकी इत्यादि करना चाहिए। चूंकि इस मौसम में लू (तेज बुखार) लगने की ज्यादा संभावना रहती है, इसलिए यथासंभव ठंडी जगह पर रहना चाहिए तथा धूप में निकलने के पहले संतुलित और सुपाच्य भोजन तथा पर्याप्त पानी का सेवन जरूर करना चाहिए। गर्म लू से बचाव के लिए शरीर, सिर, कान आदि को सूती कपड़े से ढांक लें। सूर्य की तेज किरणों के कारण चेहरे और शरीर में सन-बर्न होने तथा त्वचा से संबंधित अन्य रोग होने का खतरा होता है।

HPBL Desk
HPBL Desk  

हर खबर आप तक सबसे सच्ची और सबसे पक्की पहुंचे। ब्रेकिंग खबरें, फिर चाहे वो राजनीति की हो, खेलकूद की हो, अपराध की हो, मनोरंजन की या फिर रोजगार की, उसे LIVE खबर की तर्ज पर हम आप तक पहुंचाते हैं।

Related Articles

Next Story