रांची। आखिरकार पशुपति नाथ सिंह का टिकट कट ही गया। इसकी संभावना काफी पहले से लग भी रही थी। हालांकि इस बात की बिल्कुल भी चर्चा नहीं थी, कि ढुलू महतो को पार्टी टिकट देगी। ढुलू महतो अभी बाघमारा से विधायक हैं, हालांकि कई विवादों में भी घिरे हुए हैं। बावजूद पार्टी की तरफ से ढुलू महतो को टिकट दिया जाना, पार्टी की रणनीति का हिस्सा है। दूसरी तरफ से धनबाद के मौजूदा सांसद पीएन सिंह को प्रत्याशी नहीं बनाकर पार्टी स्पष्ट संदेश दे दिया है कि उम्मीदवार वहीं होगा, जो पार्टी के पैमाने पर खरा उतरेगा।
धनबाद लोकसभा का इतिहास
धनबाद के सांसद पीएन सिंह का टिकट दो पैमाने पर पार्टी ने काटा है। पहली तो उनकी उम्र और दूसरी उनकी सक्रियता…। वैसे धनबाद काफी पहले से ही भाजपा का गढ़ रहा है। मोदी लहर के पहले से ही भाजपा का धनबाद में दबदबा रहा है। खासकर रामजन्म भूमि विवाद के बाद से ही धनबाद की जनता भाजपा को चुनती रही है। हालांकि भाजपा से पहले धनबाद को कम्युनिस्ट पार्टी का गढ़ कहा जाता था। स्व एके राय यहां से कई बार सांसद रहे। कम्युनिस्ट और बीजेपी के जनाधार वाली इस सीट पर कांग्रेस 1984 के बाद सिर्फ 2004 में जीती।
पीएन सिंह का क्यो कटा टिकट
सीटिंग एमपी पीएन सिंह लगातार तीसरी बार धनबाद से सांसद रहे हैं, जबकि प्रो रीता वर्मा लगातार चार बार सांसद रहीं। वर्तमान सांसद पीएन सिंह 70 प्लस की लिस्ट में हैं, जाहिर है पार्टी के पैमाने पर पीएन सिंह की दावेदारी कमजोर थी, वहीं भाजपा जिस सक्रिय चेहरे की इस बार तलाश कर रही थी, उसमें पीएन सिंह फिट नहीं बैठ रहे थे। जाहिर है उम्र की वजह से उनकी सक्रियता ज्यादा नहीं थी। धनबाद में जातीय समीकरण से लेकर बाहरी-भीतरी का फॉर्मूला भी पीएन सिंह के खिलाफ था।
धनबाद से कई थे दावेदार
धनबाद लोकसभा को भाजपा के लिए जीत की गारंटी माना जाता है। लिहाजा कई दावेदारों की नजर इस सीट पर थी। ढुलू महतो धनबाद के साथ-साथ गिरिडीह के लिए भी जुगाड़ लगा रहे थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें धनबाद से टिकट दे दिया है। हालांकि दावेदारों की बात करें तो चतरा से सांसद रहे सुनील सिंह, पूर्व मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल, धनबाद के विधायक राज सिन्हा, बोकारो के विधायक बिरंची नारायण, अमर बाउरी सहित कई दावेदार थे। सरयू राय का नाम भी दावेदारों में आ रहा था। हालांकि फिलहाल तो धनबाद से ढुलू महतो ने टिकट लेकर सभी दावेदारों को खामोश करा दिया है।