Adoption tax in Gobindpur CHC: recovery of Rs 1500 in the name of “adoption tax” after delivery.

गोबिंदपुर(धनबाद)। झारखंड के धनबाद का गोबिंदपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ऐसा बदनाम सरकारी अस्पताल है, जहां हर तरह के पाप अधिकारी के नाक के नीचे होते हैं…लेकिन क्या मजाल, कि किसी स्टाफ पर कार्रवाई हो जाये। फिर चाहे बात तड़पते-तड़पते जमीन पर बच्चे को जन्म देने की बात हो, अनुबंधित नर्स को बिना आदेश और बिना नियम कानून के HOD बनाने की बात हो या फिर पैसे की वसूली की शिकायत हो…

तमाम सबूत और साक्ष्य अस्पताल के अधिकारी-कर्मचारी के खिलाफ है, बावजूद ना तो आज तक किसी स्टाफ पर कोई कार्रवाई होती है और ना ही ऐसी शिकायतों को दूर किया जाता है। ताजा मामला गोबिंदपुर CHC में नवजात के जन्म पर वसूली का है। मामले की शिकायत सिविल सर्जन तक भी पहुंची है, लेकिन अभी तक कार्रवाई के नाम पर सिर्फ दलीलें ही सामनें आयी है।

दरअसल सनातन परंपरा में पुरातन काल से एक परंपरा “गोद भराई” की रही है, जिसमें गर्भवती होने पर महिला की गोद भराई की रस्म अदा होती है, लेकिन गोबिंदपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में उस रस्म को बदलकर “गोद दिलायी” रस्म कर दिया गया है। यहां नवजात के जन्म पर अस्पताल के कर्मचारी मरीजों के परिजनों से “गोद दिलायी” टैक्स की वसूली करते हैं। कैमरे के सामने एक नहीं कई परिजनों ने इस बात को माना है कि उन्होंने अस्पताल के कर्मचारियों को “गोद दिलायी टैक्स” दिया है।

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“गोद दिलायी टैक्स” 1500 रुपये प्रति नवजात निर्धारित है। बच्चे के जन्म पर परिजनों को या महिला को बच्चे के गोद में देने के एवज में 1500 रुपये टैक्स लिया जाता है। कमाल की बात ये है कि इस टैक्स में कोई मोल भाव नहीं है, बल्कि फिक्स रेट है। हालांकि ये कोई पहला मामला नहीं है। गोबिंदपुर सीएचसी में डिलेवरी के लिए आने वाली महिलाओं से लेबर रूम में दुर्व्यवहार की भी कई शिकायतें आ चुकी है, लेकिन आज तक किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई है। गोबिंदपुर सीएचसी के लेबर रूम में पैसे के वैसे ही लालची स्टाफों की ही तैनाती होती है, जो मां की ममता का सौदा कर पैसे की वसूली कर सके।

इस तरह से होती है गोद दिलायी टैक्स की वसूली

लोगों का कहना है कि गोबिंदपुर सीएचसी में मरीजों के परिजनों से “गोद दिलायी टैक्स” की हाल के दिनों में काफी बढ़ी है। हालांकि पहले नर्सों व स्टाफ से इसकी वसूली “गोद दिलायी” बख्शीश के तौर पर होती थी, लेकिन हाल के दिनों में फिक्स रेट कम से कम 1500 रुपये के साथ टैक्स की वसूली होती है। नर्स नवजात को लेकर आती है, उनके साथ दो और स्टाफ होते हैं, पहले तो परिजनों को बच्चे को दिखाया जाता है, लेकिन जैसे ही परिजन बच्चे को गोद लेने के लिए हाथ आगे बढ़ाते हैं, बच्चे को पकड़े हाथ टैक्स वसूली के लिए बढ़ जाते हैं।

500-1000 दिया जाये तो नोट वहीं परिजनों के मुंह पर फेंक दिया जाता है और फिर बच्चे को लेकर स्टाफ अंदर चली जाती है, जब तक 1500 – 2000 रुपये नहीं मिल जाता, तब तक परिजनों को तो छोड़िये मां को भी अपने नवजात के लिए तरसा दिया जाता है। भले ही बच्चा रोता बिलखता रहे, गोबिंदपुर के नर्सों को इससे फर्क नहीं पड़ता, वो पैसे लिये बिना बच्चे को देती ही नहीं है।

दवा और सुविधा की दी जाती है दलील

परिजनों का आरोप है कि गोबिंदपुर में नर्सों और स्टाफ के द्वारा कहा जाता है कि अस्पताल में जो सुविधाएं दी जाती है, वो सारी सुविधाएं फ्री में नहीं है। इसलिए पैसा देना ही होगा। दरअसल गोबिंदपुर का स्वास्थ्य केंद्र वैसे भी ग्रामीण क्षेत्र के लिए ही है, जिसमें काफी दूर दराज के ग्रामीण इलाकों से ही मरीज आते हैं। लिहाजा अगर नर्सें मरीजों को डरा देती है या नियम कानून बता देती है, तो परिजन भी डरे-सहमें पैसा देने को मजबूर हो जाते हैं।

सिविल सर्जन तक पहुंची है शिकायत

ऐसा नहीं है कि गोबिंदपुर स्वास्थ्य विभाग की ऐसी वसूली गैंग से धनबाद के सिविल सर्जन वाकिफ नहीं है। मौजूदा और इससे पहले के सिविल सर्जन को भी गोबिंदपुर स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारियों की भर्राशाही का बखूबी पता है, बावजूद प्रभारी से लेकर स्टाफ नर्सों से अब तक की कोई कार्रवाई नहीं होना, प्रशासनिक अक्षमता का बड़ा उदाहरण है। पिछले दिनों 1500 रुपये वसूली की शिकायत भी सिविल सर्जन तक पहुंची है, जिसके बाद उन्होंने रिपोर्ट तलब कर कार्रवाई की बात कही है, लेकिन अभी तक इस मामले में किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गयी है।

डाक्टरों-नर्स पर क्यों नहीं होती कार्रवाई

गोबिंदपुर सीएचसी में शिकायतों का अंबार है। अनुबंधित नर्स की प्रतिनियुक्ति को लेकर सिविल सर्जन की तरफ से गोबिंदपुर के प्रभारी कड़ी फटकार भी लगी थी। अस्पताल में कार्यरत सूत्रों के मुताबिक एक अनुबंधित नर्स और चतुर्थवर्गीय कर्मचारी पर इस अस्पताल के प्रभारी की बहुत ज्यादा दरियादिली है। जो संस्थान के सारे खरीदारी, उल्टे सीधे काम में काफी भूमिका रहती है।

अब इसे प्रभारी की मेहरबानी कहे की प्रभारी के नाक के नीचे हो रही इस पैसे के खेल में कई तरह की शिकायतों के बावजूद इनलोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। लेबर रूम से लेकर मरीजों से दुर्व्यवहार, राज्य की फ्लैगशिप योजनाओं में फिसड्डी जैसे अनेको उदाहरण के बीच गोद दिलायी टैक्स की वसूली के नये मामले में अब क्या कार्रवाई होगी? इसका इंतजार हर किसी को है।

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