रांची। नियम-निर्देश को ताक पर रखकर संचालित हो रहे प्राइवेट यूनिवर्सिटी पर सख्ती शुरू हो गयी है। राज्यपाल के सख्त तेवर के बाद उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग ने अलग-अलग चार कमेटी बनायी है, जो एक महीने के भीतर जांच कर अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को देगी। उपसमितियां राज्य के सरकारी यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार की अध्यक्षता में गठित की गयी है। ये टीमें यूजीसी के गाइडलाइन के अनुरूप विश्वविद्यालय संचालित हो रहे हैं या नहीं, इसकी जांच करेगी।

पिछले दिनों ही राज्यपाल ने अधिकारियों की बैठक में जांच के निर्देश के बावजूद जांच नहीं होने पर नाराजगी जतायी थी। उन्होंने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिया था कि जांच की कार्रवाई तुरंत की जाये। रमेश बैस ने निर्देश दिया था कि राज्य में संचालित हो रहे विश्वविद्यालय की के संसाधन की जांच की जाये। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अब किसी भी यूनिनर्सिटी को मान्यता देने से पहले उसके संसाधन की जांच की जायेगी।

  • पहली उपसमिति रांची विश्वविद्यालय के कुलसचिव मुकुंद मेहता की अध्यक्षता में गठित की गई है जो आईसेक्ट विश्वविद्यालय हजारीबाग, रामचंद्र चंद्रवंशी विश्वविद्यालय पलामू, कैपिटल विश्वविद्यालय कोडरमा व राधा गोविंद विश्वविद्यालय रामगढ़ की जांच करेगी।
  • दूसरी उपसमिति विनोद बिहारी विश्वविद्यालय के कुलसचिव विकास की अध्यक्षता में बनाई गई है। यह उपसमिति राय यूनिवर्सिटी रांची, साईं नाथ विश्वविद्यालय रांची, उषा मार्टिन विश्वविद्यालय रांची तथा अमेटी विश्वविद्यालय रांची की जांच करेगी।
  • तीसरी उपसमिति रांची विश्वविद्यालय की अध्यक्षता में गठित कमेटी प्रज्ञान इंटरनेशनल विश्वविद्यालय, रांची सरला बिरला विश्वविद्यालय रांची, वाईबीएन विश्वविद्यालय रांची और आरकेडीएफ विश्वविद्यालय रांची की जांच करेगी। यहां के संसाधनों की जांच करेगी और रिपोर्ट देगी।
  • डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय की कुलसचिव नमिता सिंह की अध्यक्षता वाली उपसमिति अरका जैन विश्वविद्यालय, नेताजी सुभाष चंद्र विश्वविद्यालय जमशेदपुर, श्रीनाथ विश्वविद्यालय जमशेदपुर तथा इक्फाई विश्वविद्यालय, रांची की जांच करेगी।

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