कई मान्यताओं के कारण कई लोग सावन में नॉवेज खाने से परहेज करते हैं. हालांकि इस दौरान इसकी कमी को पूरा करने के लिए कटहल खाना पसंद करते हैं. लेकिन झारखंड में रुगड़ा मशरूम (Rugda Mushroom) की बात ही अलग है. लोग इसके दीवाने हैं.

रुगड़ा जंगलों के बीच मिलने वाली सब्जी है, जो बारिश के मौसम में सखुआ के पेड़ के नीचे उगती है. झारखंडवासी इसे रुगड़ा मशरूम कहते है. यह बारिश के मौसम में ही होता है. वैज्ञानिक इसे एक फंगस के रूप में बताते हैं. जो सखुआ (साल) के पेड़ के नीचे बारिश के मौसम में अपने आप उग आते हैं.

1700 रुपये प्रति किलो से ज्यादा दाम

जंगल में रहने वाले ग्रामीण इसे चुनकर बाजार तक पहुंचाते हैं और बाजार में इसकी कीमत सात सौ से 1700 रुपये प्रति किलो तक होती है. झारखंड के स्थानीय लोग बताते हैं कि रुगड़ा खाने में नॉनवेज की तरह ही लगता है.

इसके खाने में एक अलग ही मजा है. जब रांची के आसपास घने जंगल हुआ करते थे और साल के पेड़ों के समूह हुआ करते थे. यहीं पर बारिश के मौसम में ही पौधा उगता है. अब दिनों में जगह जंगल खत्म होने की वजह से अब घने जंगलों में ही यह पौधा लोगों को मिल पाता है.

प्रोटीन ज्यादा कैलोरी कम

रुगड़ा केवल स्वाद के लिए ही लोकप्रय नहीं है बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी काफी उत्तम माना गया है. इसे विटामिन और प्रोटीन से भरपूर माना गया है. इसे ब्लड प्रैशर और हाईपरटेंशन के मरीजों के लिए राम बाण माना गया है. डॉक्टरों का भी कहना है कि रुगड़ा के सेवन से इम्यूनिटी बढ़ती है.

डॉक्टरों के मुताबिक रुगड़ा में विटामिन बी, विटामिन-सी, विटामिन-सी, कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम और तांबा भी पाया जाता है. इसमें कैलोरी बहुत कम होती है.

कहां-कहां मिलता है रुगड़ा

वैसे तो पूरे झारखंड के बाजार में रुगड़ा इन दिनों खूब नजर आता है लेकिन प्रदेश के कुछ जिले ऐसे हैं जहां इसकी खेती सबसे अधिक होती है. मसलन खूंटी, लातेहार, लोहरदगा, रामगढ़, गुमला ऐसे जिले हैं जहां के जंगलों में रुगड़ा की उपज सबसे ज्यादा होती है. झारखंड से सटे दूसरे प्रदेशों यानी छत्तीसगढ़, प. बंगाल और ओडिशा की भी कुछ जगहों पर इसकी पैदावार है.

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