रांची। शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो इस दुनिया में नहीं रहे। लेकिन, जब तक जिंदा रहे कद्दावर नेता के रूप में अपनी धाक झारखंड की राजनीति में बनाये रखी। उनके तेवर, अंदाज और निडरता की वजह से उनका नाम टाईगर पड़ा था। इस बात में कोई शक भी नहीं, कि जब तक वो रहे “’टाईगर” की तरह ही जीये। कई बार उनका मौत से सामना हुआ, लेकिन हर बार वो विजेता बनकर लौटे, लेकिन इस बार नियति को शायद कुछ और मंजूर था।

हर बात जीतकर लौटते थे टाईगर, इस बार कैसे हार गये ?

कई बार तबीयत बिगड़ने के बाद वो चेन्नई गये, स्वस्थ्य होकर लौटे, लेकिन इस बार वक्त वो पल नहीं दोहरा सका। अब उनका पार्थिव वापस लौटेगा। खुद मुख्यमंत्री अपने सबसे अजीज साथी का शव लेने चेन्नई जा रहे हैं। एक राजनीतिक और मंत्रिमंडलीय साथी के लिए इससे ज्यादा और पीड़ा की क्या बात होगी, उनके कंधे पर सबसे करीबी राजनीतिक मित्र का शव होगा।

इसलिए लोग कहते थे टाईगर


यूं तो जगरनाथ महतो ने अपनी जिंदगी में जो कुछ चाहा , वो हासिल किया। डुमरी से अपनी राजनीति का डंका बजाने वाले जगरनाथ महतो की जीवटता का पूरा झारखंड कायल था। बतौर शिक्षा मंत्री उनकी बेबाकी, निडरता से फैसला लेने का अंदाज ने प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को नयी राह दिखायी। ये बात अलग है कि शिक्षा के क्षेत्र में इतना कुछ करने के वावजूद, उनका खुद की शिक्षा को लेकर सपना अधूरा रह गया। शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के निधन पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उन्हें टाइगर कह कर श्रद्धांजलि अर्पित की. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ-साथ कैबिनेट के तमाम मंत्रियों, विपक्ष के नेताओं ने भी टाइगर जगरनाथ महतो को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनके निधन को झारखंड के लिए बड़ी क्षति बताया।

फेफड़े को किया गया था ट्रांसप्लांट


चेन्नई के महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर में उनका इलाज शुरू हुआ. कोरोना संक्रमण के कारण उनके फेफड़े पूरी तरह से निष्क्रिय हो गए थे. चेन्नई के अस्पताल में ही उनके फेफड़ों का ट्रांसप्लांट किया गया था. लगभग आठ महीने अस्पताल में गुजारने के उपरांत शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो चेन्नई से वापस रांची झारखंड अपने घर लौटे थे.हालांकि बीच-बीच में रूटीन चेकअप के लिए वाराणसी से चेन्नई जाया करते थे. इसी बीच झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दौरान 14 मार्च 2020 को उनकी तबीयत खराब होने के बाद उन्हें दोबारा से एयर लिफ्ट कर रांची से चेन्नई ले जाया गया था, जहां इलाज के क्रम में उनकी आज यानी 6 अप्रैल को मौत हो गई।

खतियानी आधारित स्थानीय नीति के थे पक्षधर


झारखंड में 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू कराने वाले मुख्य स्तंभ के रूप में शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो को वर्षों तक झारखंडी मूलवासियों के द्वारा याद किया जाएगा. शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो झारखंड के डुमरी विधानसभा सीट से बतौर विधायक वर्ष लगातार 2005, 2009, 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की. अलग झारखंड राज्य गठन में ‘टाइगर’ जगरनाथ महतो की एक अहम भूमिका थी।

2020 में हुए थे कोरोना संक्रमित


28 सिंतबर 2020 बीच में शिक्षा मंत्री कोरोना संक्रमित हो गए थे. उन्हें बेहतर इलाज के लिए रांची के रिम्स अस्पताल के बाद एक निजी अस्पताल में भी भर्ती कराया गया था. उनकी गंभीर स्थित को देखते हुए अक्टूबर 2020 में एयर एंबुलेंस के माध्यम से एअरलिफ्ट कर रांची से चेन्नई ले जाया गया था.

अधूरा रह गया 12वीं पास करने का सपना

झारखंड के शिक्षामंत्री जगरनाथ महतो सिर्फ 10वीं पास थे। 10वीं को शिक्षामंत्री बनाने के कारण विपक्षी दलों और विरोधियों की ओर से सीएम हेमंत सोरेन की काफी आलोचना होती थी। उन्होंने दो वर्ष पूर्व ही 11वीं में अपना नामांकन कराया था. उनकी इच्छा थी कि कम से कम वह इंटर पास कर लें. शिक्षा मंत्री की योग्यता को लेकर विपक्ष के द्वारा यह सवाल उठाया जाता था कि जिसके आप शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग है, वह खुद ही मैट्रिक पास हैं.वर्ष 2020 के प्रारंभ में जब शिक्षामंत्री जगरनाथ महतो ने कार्यभार संभाला, तो अपनी आलोचना से आहत होकर उन्होंने 12वीं की परीक्षा देने का निर्णय लिया।

1100 देकर लिया था इंटर में दाखिला

फिर उन्होंने 11वीं में एडमिशन लेने बोकारो के देवी महतो इंटर कॉलेज पहुंच गए। 10 अगस्त 2020 को उन्हांने 1100 रुपए का फॉर्म भर कर दाखिला ले लिया। 11वीं में नामांकन के बाद जगरनाथ महतो ने कहा था- ‘जब मैं मंत्री पद की शपथ ले रहा था और मुझे शिक्षा जैसा विभाग मिला, तो कई लोगों ने मुझपर व्यंग्य किए। उनका कहना था कि दसवीं पास क्या शिक्षा मंत्रालय। उसी दिन मैंने इसे चैलेंज के रूप में स्वीकार किया। अब मैं पढ़ाई भी करूंगा, अच्छे नंबरों से पास होकर भी दिखाउंगा।’ दसवीं के बाद पढ़ाई छूटने के संबंध में जगरनाथ महतो ने कहा था -‘उस वक्त झारखंड आंदोलन अपने चरम पर था। वे भी नौजवान थे। आंदोलन में कूद पड़े।

बीमारी की वजह से नहीं दे पाये थे परीक्षा


विनोद बिहारी महतो के नेतृत्व में राजनीति करने लगे।’ 11वीं में नामांकन लेने के बाद शिक्षामंत्री जगरनाथ महतो पढ़ाई की तैयारी में भी जुट गए। उनके कई ऐसे वीडियो भी वायरल हुए, जिसमें वे अपने विधानसभा क्षेत्र डुमरी से रांची वापस आने के क्रम में गाड़ी में पढ़ाई करते नजर आते थे। वर्ष 2021 में वे 11वीं की परीक्षा देने की तैयारी में थे। लेकिन इस बीच अचानक वे कोरोना संक्रमण के कारण गंभीर रूप से बीमार हो गए। जिसके कारण 11वीं की भी परीक्षा नहीं दे पाएं। इस कारण 12वीं पास होने का उनका सपना अधूरा रह गया।

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