रांची। हेमंत कैबिनेट की अहम बैठक कल होने जा रही है। उम्मीद जतायी जा रही है कि प्रदेश के अनुबंधकर्मियों को राज्य सरकार नियमितिकरण की सौगात मिल सकती है। हालांकि अधिकारी इस संदर्भ में अभी कुछ संकेत नहीं मिल रहे हैं। प्रदेश में अभी करीब 1 लाख संविदा, दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी काम कर रहे हैं। राज्य सरकार इन्हें नियमित करने की बात लंबे समय से कर रही है। पिछले दिनों राजस्थान और उड़ीसा सरकार के फैसले के बाद झारखंड सरकार पर दवाब और बन गया है। लिहाजा कल की कैबिनेट में अनियमित कर्मचारियों को नियमितिकरण की सौगात सरकार दे सकती है।

10 नवंबर की कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव जरूर शामिल किया जाएगा। इसके अलावा कैबिनेट की बैठक में राज्य सरकार 1932 खतियान आधारित स्थानीयता को लेकर पूर्व में लिए गए फैसले में संशोधन भी कर सकती है। राज्य सचिवालय के विभिन्न विभागों तक में लंबे समय से संविदाकर्मी काम कर रहे हैं। इनकी स्थायीकरण की मांग की सरकार अनदेखी कर रही है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट और झारखंड हाई कोर्ट का भी समय समय पर फैसला आया है।

हालांकि इससे पहले भी कैबिनेट में सचिवालय में पदस्थ संविदाकर्मियों को नियमित करने का फैसला ले चुकी थी, लेकिन ऐन मौके पर वित्त, विधि में मामला उलझ गया। हालांकि उस कैबिनेट को गुजरे अब काफी लंबा वक्त हो चुका है, लिहाजा उन तकनीकी त्रुटियों को दूर कर लिया गया है। ऐसे में अब कल की कैबिनेट पर पूरे प्रदेश भर के संविदाकर्मियों की नजरें टिकी होगी।

जानकार बताते हैं झारखंड के मौजूदा हालात के बीच हेमंत सोरेन कुछ बड़ा फैसला लेकर अपनी लोकप्रियता और बढ़ा सकते हैं, ताकि चुनाव आयोग और ईडी के संकट के बीच उन्हे जनता का सपोर्ट मिलता रहे। वैसे भी घोषणापत्र में अनुबंधकर्मियों को नियमित और पुरानी पेंशन बहाली की बात झामुमो ने वादा किया था। इसमें से पुरानी पेंशन की मांग तो हेमंत सरकार ने पूरा कर दिया है, अब बड़ी मांगों में नियमितिकरण का मुद्दा ही बचा है। लिहाजा उम्मीद है कि संविदाकर्मियों पर संवेदनशील फैसला मुख्यमंत्री ले सकते हैं।

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