रांची। कल चंपई सोरेन सरकार का इम्तिहान है। संख्या बल के हिसाब से भले ही सोरेन सरकार अभी सेफ दिख रही हो, लेकिन हकीकत तो यही है कि महागठबंधन को भी भी डर है कि भाजपा कोई खेला ना कर दे। उधर हेदराबाद में विधायकों पर कड़ी निगरानी है, तो वहीं झारखंड में अपनों को मनाने की भी कवायद तेज हैं। महागठबंधन को पता है कि उसके लिए सत्ता बचाना कितना जरूरी है, लिहाजा वो कोई रिस्क लेना नहीं चाहती, वो एक-एक विधायकों के वोट को बटोर रखना चाहती है।

हेमंत सोरेन को वोटिंग के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाना भी इसी की कड़ी है। हेमंत सोरेन अगर रिमांड अवधि के बीच में फ्लोर टेस्ट के लिए विधानसभा आते हैं, तो उससे दो फायदे होंगे, पहली बात तो ये एक वोट सत्ता पक्ष का बढ़ जायेगा और दूसरा वो अपने पार्टी के विधायकों के साथ कुछ बातों को शेयर कर सकेंगे। इससे पहले हेमंत सोरेन की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि राज्यपाल ने 5 फरवरी को फ्लोर टेस्ट के लिए समय तय किया है। हेमंत अभी ED की रिमांड में हैं। इसलिए विधानसभा के विशेष सत्र में उपस्थित रहने की अनुमति दी जाए।

कोर्ट में दाखिल याचिका पर दोनों पक्षों की ओर से बहस हुई। महाधिवक्ता राजीव रंजन ने हेमंत सोरेन की ओर से पक्ष रखा। सुनवाई के बाद कोर्ट ने हेमंत सोरेन को विश्वास मत के दौरान उपस्थिति रहने का आदेश दिया। आपको बता दें कि झारखंड के नए CM चंपई सोरेन 5 फरवरी को विधानसभा में विश्वास मत का सामना करेंगे। इसके लिए विशेष सत्र बुलाया गया है। अभी फिलहाल हेमंत सोरेन ईडी की रिमांड पर हैं। कोर्ट ने ईडी को हेमंत सोरेन की 5 दिन की रिमांड दी है।

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