अमरोहा। बुजुर्ग की मौत पर बंदर का गम मनाते हुए वीडियो सामने आया है। बंदर बुजुर्ग के शव के पास न सिर्फ बैठा रहा बल्कि परिजनों और रिश्तेदार के साथ शव से लिपटकर 40 किमी दूर गंगा घाट पर अंतिम में शामिल हुआ। बताया जा रहा है कि मृतक बुजुर्ग इस बंदर को दो वक्त रोटी खिलाया करता था। अचानक से एक दिन बूढ़े शख्स की मौत हो गई। इसके बाद बंदर बुजुर्ग की अर्थी के पास सारा दिन बैठा रहा।

घटना अमरोहा जिले के कस्बा जोया के मोहल्ला जाटव कालोनी का है। यहां रामकुंवर सिंह नाम के एक बुजुर्ग की मौत हो गई। रामकुंवर के पास बीते दो महीने से एक बंदर आकर बैठ जाता था। रामकुंवर सिंह उसे खाने के लिए रोटी दे देते थे। इसी तरह बंदर का उनके रोज का आना-जाना हो गया। हर रोज बंदर रामकुंवर के पास आकर बैठ जाता और वह उसे खाना दे देते थे। खाने के अलावा बंदर उनके साथ खेलता भी रहता था। लेकिन मंगलवार सुबह अचानक रामकुंवर का देहांत हो गया।

फिर उस बंदर ने अपने दोस्त रामकुंवर की मौत पर जैसा दुख मनाया, वो किसी से देखा ना गया। बंदर सारा दिन उनकी अर्थी के पास बैठा रहा। परिजनों ने जब तिगरी धाम ले जाने के लिए बुजुर्ग की अर्थी डीसीएम में रखी तो बंदर भी डीसीएम में जा बैठा। जोया से तिगरी धाम तक वह अर्थी से लिपटा रहा। अंतिम संस्कार होने तक बंदर चिता के पास ही मौजूद रहा। बंदर ना सिर्फ बुजुर्ग की अर्थी के पास दिनभर बैठा रहा, बल्कि अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट तक साथ गया।

लोगों ने बताया कि गमगीन बंदर वाहन में रखी बुजुर्ग की अर्थी से लिपट कर जोया से तिगरी धाम तक गया। बंदर के इस प्रेम को देखकर बुजुर्ग के परिजन और आसपास के लोग भी हैरान रह गए। रामकुंवर के परिवार वालों ने बताया कि रामकुंवर का अंतिम संस्कार करने के बाद जब वे लोग वापस घर जोया आए तो सबकी तरह बंदर भी वापस उनके घर आया और कुछ देर चारपाई पर बैठकर चला गया। उसके बाद वो बन्दर उनके घर नहीं आया है।

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