रांची। पारा शिक्षकों को सर्टिफिकेट वैरिफिकेशन के लिए फाइनल अल्टीमेटम मिल गया है। कल तक अगर अगर पारा शिक्षकों ने अपना सर्टिफिकेट वैरिफिकेशन नहीं कराया तो ये मान लिया जायेगा कि उनका दस्तावेज फर्जी है। लिहाजा, ना सिर्फ नौकरी जायेगी, बल्कि फर्जी दस्तावेज पाया गया, तो FIR भी फर्जीवाड़ा के केस में दर्ज हो सकता है। हालांकि अभी मामला दर्ज कराने को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया है, इस पर राज्य सरकार निर्णय लेगी। शिक्षा विभाग की तरफ से इस संदर्भ में निर्देश जारी कर दिया गया है।

विभाग के तेवर से साफ है कि वो सहायक अध्यापकों के मामले को बेहद संजीदगी से ले रहा है। विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर अपने प्रमाणपत्रों का सत्यापन नहीं कराया है, तो ऐसे पारा शिक्षक पांच दिसंबर तक अपने शैक्षणिक एवं प्रशैक्षणिक प्रमाणपत्रों की फोटोकॉपी जांच के लिए जमा नहीं करेंगे तो उनकी सेवा समाप्त कर दी जाएगी। उन्हें अपने प्रमाणपत्रों को जिला परियोजना कार्यालय में जमा करना है। झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने इस संबंध में सभी पारा शिक्षकों को नोटिस जारी कर दिया है।

कहा गया है कि यदि वे उक्त तिथि तक अपना प्रमाणपत्र जमा नहीं करते हैं तो यह माना जाएगा कि या तो उनके शैक्षणिक, प्रशैक्षणिक एवं टेट उत्तीर्ण होने का प्रमाणपत्र अनियमित है या उनके पास वैध अर्हता नहीं है। ऐसी स्थिति में 31 दिसंबर तक विभागीय कार्रवाई करते हुए उन्हें बर्खास्त तो कर ही दिया जायेगा। अगले माह यानि जनवरी माह के मानदेय का भी भुगतान नहीं किया जाएगा।

विभागीय आंकड़ों के मुताबिक करीब 70 फीसदी शिक्षक ही अभी तक अपना सत्यापन कराये हैं, 30 प्रतिशत सहायक अध्यापकों ने अभी तक वैरिफिकेशन नहीं कराया है। प्रमाणपत्र जमा नहीं करनेवाले तथा फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी करने वाले पारा शिक्षकों के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज कराई जा सकती है विभागीय सचिव के अनुसार, राज्य सरकार इस पर निर्णय लेगी। सचिव के. रविकुमार ने सभी जिला शिक्षा अधीक्षकों से इसकी पूरी पड़ताल कर लेने को कहा है कि कितने पारा शिक्षकों ने प्रमाणपत्र उपलब्ध नहीं कराए हैं।

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