ओड़िशा/नई दिल्ली। बालासोर ट्रेन हादसे में 280 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। हालांकि कई शव अभी भी लवारिश पड़े हैं, जबकि कई परिजनों को अभी भी अपनो की तलाश है। इन सब के बीच उड़ीसा से मृतकों को लेकर जो खबर आ रही है, वो काफी चौकाने वाली है। अभी भी 83 ऐसे शव है, जिसकी कोई खोज खबर लेने नहीं आया है। उन शवों की शिनाख्त भी नहीं हुई है। अब रेलवे इन लावारिस लाशों की पहचान के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से चलने वाली वेबसाइट और सिम कार्ड ट्राइएंगुलेशन का इस्तेमाल करने जा रही है।

रेलवे ने शुरू में आधार (UIDAI) की एक टीम को मृतकों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए उनके अंगूठे के निशान लेने के लिए घटनास्थल पर बुलाया था। लेकिन ये प्रयोग कामयाब नहीं हुआ। क्योंकि ज्यादातर मामलों में अंगूठे की त्वचा क्षतिग्रस्त हो गई थी और उनके निशान लेना मुश्किल हो चुका था। एआई-आधारित पोर्टल संचार साथी का उपयोग करके शवों की पहचान करने की प्लानिंग रेलवे ने बनायी है। हाल ही में लॉन्च किए गए संचार साथी वेब पोर्टल का इस्तेमाल 64 शवों की पहचान करने के लिए किया गया था और यह 45 मामलों में सफल रहा।

संचार साथी ग्राहकों को उनके नाम पर जारी किए गए मोबाइल कनेक्शनों को जानने की अनुमति देता है और उनके खोए हुए स्मार्टफोन को ट्रैक और ब्लॉक भी करता है। यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-आधारित पोर्टल हाल ही में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा लॉन्च किया गया था, जिनके पास सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय भी है। अधिकारियों ने बताया, ट्रेन हादसे के पीड़ितों के शवों की पहचान करने के लिए पोर्टल ने पीड़ितों के फोन नंबरों और आधार डीटेल्स को उनकी तस्वीरों का उपयोग करके पता लगाया। इसके बाद, उनके परिवार के सदस्यों से संपर्क किया गया।

ओडिशा के बहांगा में हुई दुर्भाग्यपूर्ण रेल दुर्घटना में उन परिवारों की सुविधा के लिए जो अभी भी अपने रिश्तेदारों के बारे में जानकारी प्राप्त नहीं कर सकें हैं, भारतीय रेलवे ने ओडिशा सरकार के सहयोग से उनका पता लगाने की पहल की है। इस दुर्घटना में प्रभावित यात्रियों के परिवार के सदस्य/रिश्तेदार/मित्र और शुभचिंतक मृतकों के फोटो के लिंक, विभिन्न अस्पतालों में भर्ती यात्रियों की सूची और अज्ञात शवों के बारे में जानकारी सार्वजनिक की है।

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