रांची/ धनबाद न्यू पेंशन योजना से पुरानी पेंशन योजना में बदलने के लिए NMOPS ने अपनी ताकत झोंक दी। राज्य सेवा के कर्मियों ने एकजुटता का प्रदर्शन कर अपनी लड़ाई लड़ी। जिसकी फलस्वरूप मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल कर दी। इतनी बड़ी खुशी पर उनके विभाग के पदाधिकारी और सरकारी बाबू ग्रहण लगा रहे हैं। कर्मियों के अपने विभाग के सरकारी दलाल अलग अलग कार्य के अलग अलग रेट फिक्स कर रखा है।

क्या है पूरा मामला

आपको बता दे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सितंबर 2022 से पुरानी पेंशन योजना राज्य कर्मी के लिए बहाल कर दी। वित्त विभाग ने कर्मियों के न्यू पेंशन योजना से पुरानी पेंशन योजना में बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी। इस प्रक्रिया के तहत शपथ पत्र दाखिल करने, जीपीएफ अकाउंट खोलने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए। यह कार्य वेतन भुगतान करने वाले पदाधिकारी और कार्यालय को किया जाना है। इसके लिए कार्यालय कर्मी को प्रशिक्षण भी दिया गया।

झारखंड में पुरानी पेंशन योजना बहाल क्या हुई सरकारी दलाल में कमाने की होड़ लग गई। पहले तो कर्मियों की अपने से ऑनलाइन करने से रोका गया उसके बाद जब मामला बढ़ा तो कार्यालय बाबू ने तरह तरह के डर दिखाने शुरू कर दिए …

मसलन ऑनलाइन फॉर्म गलत होने पर जवाबदेही कर्मियों की होगी, जीपीएफ ऑफिस में हार्ड कॉपी खुद जमा करना होगा, जीपीएफ कार्यालय खुद मैनेज करना होगा, जान बूझकर बेसिक पेमेंट को अपडेट नहीं किया जाता रहा, शपथ पत्र पर डीडीओ के हस्ताक्षर कराने में जानबूझकर आनाकानी और देरी करना और भी इस तरह के कुछ अनावश्यक तथ्यों का हवाला देकर कर्मियों को अपनी गिरफ्त में सरकारी दलालले रहे हैं।

सब कार्य के लिए रेट चार्ट अलग अलग

NPS to OPS के जो कार्य कार्यालय को करना है अब कर्मी अपने काम छोड़कर कार्यालय के चक्कर लगाने में व्यस्त हैं। जिसकी विभागीय पदाधिकारी को कोई चिंता नहीं। प्राप्त जानकारी के अनुसार कर्मियों को सिर्फ एक बार अपने कार्यालय में उपस्थित होना पड़ता है जिसमें हस्ताक्षर और एफिडेफिट कार्य शामिल है। परंतु कभी झार नेट का हवाला तो कभी कार्यालय की व्यवस्था दिखाकर जानबूझकर कर्मचारियों को चक्कर लगाने पर मजबूर किया जाता है ताकि कर्मचारी सुविधा शुल्क देने को तैयार हो जाए।

सबसे मजेदार बात यह है कि कार्यालय के सरकारी दलालों ने अलग-अलग काम के लिए अलग-अलग रेट चार्ट तय कर रखे हैं।

शपथ पत्र और नॉमिनेशन 500.00

शपथ पत्र एफिडेफिट 200.00 से 500.00

ऑनलाइन अपलोडिंग 500.00 (डीडीओ हस्ताक्षर)

जीपीएफ ऑफिस खर्चा 500.00 से 1000.00

कर्मी अपने इच्छानुसार अलग अलग कार्य करा सकते हैं या फिर सरकारी दलालों ने एक पैकेज भी बना रखा है जिसकी दर 1000 से 2000 के बीच रखी गई है। इस पैकेज के तहत दलाल एक मुश्त पैसे लेकर जीपीएफ no आवंटित कराने की जिम्मेवारी लेते हैं। और उन कर्मी को क्रैक सेवा के तहत जीपीएफ no निर्गत कराए जाने की भी सुविधा उपलब्ध है।

जीपीएफ कार्यालय में भी चल रहा पैसे का खेल

2004 के बाद नई पेंशन योजना के तहत बहाल कर्मियों के लिए जीपीएफ ऑफिस कोई महत्व नहीं रखता था। परंतु पुरानी पेंशन योजना बहाल होने से जीपीएफ ऑफिस में इस समय उत्सव जैसा माहौल है। सभी विभागों के लिए आवंटित अलग-अलग बाबू की अपनी-अपनी चांदी चल रही है। सुविधा शुल्क देकर तुरंत जीपीएफ नंबर अलॉट करने का काम बदस्तूर जारी है।

संबंधित विभागीय पदाधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। विभागीय पदाधिकारी के नाक के नीचे इस तरह के अनैतिक कार्य की अनदेखी करना समझ से परे है। क्योंकि किसी भी विभाग से ऑनलाइन आवेदन अपलोड करने के बाद उसमें टाइम और तिथि दोनों दर्ज हो जाती है। परंतु फॉर्म अपलोड करने के क्रम के हिसाब से जीपीएफ अकाउंट अलॉट नही किया जा रहा। जो काम पहले पाओ की तर्ज पर होना चाहिए, वो काम पैसे दो अकाउंट no लो की तर्ज पर किया जा रहा है।

संबंधित विभागीय पदाधिकारी भले इस पैसे के खेल में अनभिज्ञता जाहिर करते है, परंतु उनके कार्यालय और जीपीएफ कार्यालय में पैसे का खेल बदस्तूर जारी है। साथ ही जीपीएफ no जारी करने में जान बूझकर देरी पर सख्त निगरानी की आवश्यकता है। यदि इसके बाबजूद पदाधिकारी की निगरानी नही हो रही तो इस पूरी मिलीभगत से इंकार भी नही किया जा सकता।

NMOPS के पदाधिकारी रखे हैं पैनी नजर – प्रदेश अध्यक्ष विक्रांत कुमार सिंह

NMOPS के प्रदेश अध्यक्ष विक्रांत कुमार सिंह का कहना है की पैसे की लेनदेन की शिकायत कई जिलों के कार्यालय से आ रही है, साथ ही पैसे के लेन देन के लिए मोटिवेट किया जा रहा है। जिस पर हमारी टीम की पैनी नजर है। कई कार्यालय के कर्मी और पदाधिकारी की शिकायत, कॉल रिकॉर्डिंग संगठन तक पहुंच चुकी है। जो भी कर्मी और पदाधिकारी भयादोहन कर भ्रष्ट्राचार में लिप्त पाए जाएंगे उनकी शिकायत सीधे तौर पर मुख्यमंत्री कार्यालय, वित्त विभाग और भविष्य निधि निदेशालय में की जायेगी।

गोड्डा जिला के कोषागार पदाधिकारी सह जिला भविष्य निधि पदाधिकारी उमेश चंद्र दास जो स्वयं NPS से OPS के रास्ते पर हैं, का कहना है मैने कार्यालय स्तर से जीपीएफ अकाउंट no देने में देरी नहीं करने,और पैसे के लेन देन नहीं करने की सख्त हिदायत दे रखी है। प्रतिदिन मॉनिटरिंग मेरे द्वारा किया जाता है। कुछ फॉर्म में त्रुटियों के कारण विलंब हो रही हैं।

वहीं गोड्डा के संयोजक डा सुमन कुमार के नेतृत्व में NMOPS की टीम जायजा लेने जिला भविष्य निधि कार्यालय पहुंची, जिले में कार्यरत कर्मियों के जीपीएफ अकाउंट खोलने संबंधी बातों का जायजा लिया। उन्होंने बताया की हमारी टीम जल्द से जल्द जिले भर के कर्मियों का अकाउंट no दिलाने के लिए प्रयासरत है और किसी भी भ्रष्ट्राचार को बढ़ावा नही दिया जाएगा।

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