रांची झारखंड के शीर्ष माओवादी नेता और नक्सली वारदातों का साक्षी रहे बूढ़ा पहाड़ पर सुरक्षाबलों ने कब्जा जमा लिया। रविवार को डीजीपी नीरज सिन्हा अपनी पूरी टीम के साथ है बूढ़ा पहाड़ पहुंचे। पिछले तीन दशक से हिंसक वारदातों का गवाह बने बूढ़ा पहाड़ पर सुरक्षाबलों का कब्जा काफी मायने रखती है।

बूढ़ा पहाड़ पहुंचे राज्य का आला अधिकारी

कई हिंसक घटनाओं का गवाह रहा है बूढ़ा पहाड़

कई वर्षों से सुरक्षा बल का तरफ से लगातार प्रयास जा रहा था। पहली बार बूढ़ा पहाड़ पर नक्सलियों के गढ़ को खत्म कर पुलिस और सुरक्षाबलों के जवानों ने अपना वर्चस्व स्थापित करते हुए उसे नक्सलियों के चुंगल से मुक्त कराया। 16 सितंबर 2022 को पहली बार MI हेलीकॉप्टर को उतारा गया। बूढ़ा पहाड़ पर तिरंगा फहराने के दौरान झारखंड डीजीपी नीरज सिन्हा ने सुरक्षा बलों की हौसला अफजाई करते हुए सम्मानित किया।

रविवार का दिन रहा खास

झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ के संयुक्त बलों की इस सफलता पर डीजीपी नीरज सिन्हा स्वयं बूढ़ा पहाड़ पहुंचे और स्थापित कैंप का निरीक्षण कर जांबाज जवानों को पुरस्कृत कर उनका हौसला बढ़ाया। उन्होंने स्थानीय ग्रामीणों के साथ मिलकर उनकी समस्याओं से रूबरू होते हुए उनके निराकरण करने की बात कही। डीजीपी ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि अब नक्सलियों के भय से आप मुक्त हैं। बल्कि सुरक्षा बलों के द्वारा ग्रामीणों को पूरी सुरक्षा प्रदान की जाएगी। उन्होंने ग्रामीणों के बीच रोजमर्रा की वस्तुओं का वितरण भी किया।

प्रमुख पुलिस अधिकारी पहुंचे बूढ़ा पहाड़

डीजीपी के नेतृत्व में एडीजी अभियान संजय आनंद ला, सीआरपीएफ के आईजी अमित कुमार, आईजी अभियान ए वी होमकर, स्पेशल ब्रांच के एसपी शिवानी तिवारी हेलीकॉप्टर से रविवार को पहुंचे तथा इस क्षेत्र से भागे हुए माओवादी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई पर रणनीति बनाई। ये क्षेत्र झारखंड, छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती माओवादी नेताओं का शरण स्थली भी रहा है। माओवादी के पोलित ब्यूरो सेंट्रल कमिटी के सदस्य कार्रवाई की रणनीति बनाकर घटना को अंजाम देते रहते थे। बरामद बंकर और शस्त्रागार सुरक्षाबलों द्वारा ध्वस्त कर दिया गया है। उग्रवादी कि ट्रेनिंग के रूप में इलाके से हार्डकोर ग्रुप में तैयार कर अन्यत्र भी भेजे जाते थे।

कई पुलिस अभियानों का गवाह रहा बूढ़ा पहाड़

बूढ़ा पहाड़ पर विगत डेढ़ दो दशकों से अब तक चले अनगिनत अभियान के दौरान सुरक्षा बलों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। लेकिन फिर भी अभियान थमा नहीं। नक्सलियों ने पहाड़ तक पहुंचने वाले हर रास्ते पर आईडी बिछा रखा था। लेकिन पिछले 1 वर्षों से रणनीति पूर्ण तरीके से सुरक्षाबलों द्वारा संयुक्त अभियान जिसमें मूल रूप से ऑपरेशन ऑक्टोपस अंत तक कारगर साबित हुआ।

कई दशकों के अथक प्रयास के बाद नक्सलियों के कब्जे में रहे बूढ़ा पहाड़ को लगभग मुक्त करा लिया गया है। नक्सली यहां अपना ठिकाना नहीं बना पाए इसके लिए आवश्यक है कि सुरक्षा बलों का कैंप स्थापित किए जायेंगे। ग्रामीणों के मूलभूत सुविधा और विकास के लिए सड़क,शिक्षा सहित अन्य का निर्माण और विकास कार्य प्रारंभ है। अपनी जान पर खेलकर नक्सल मुक्त अभियान “ऑपरेशन लोटस ” में लगे सुरक्षा बल के जवानों को HPBL की टीम ने भी बधाई दी है।

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