रांची। झारखंड में होने वाली शिक्षक भर्ती पर ग्रहण लगता दिख रहा है। आरक्षण की पेचिदगी की वजह से नियुक्ति मामला अटकता दिख रहा है। दरअसल शिक्षा विभाग द्वारा कार्मिक विभाग को विज्ञापन का जो प्रस्ताव भेजा है, उसमें EWS के लिए आरक्षण की व्यवस्था नहीं की है। ऐसे में कार्मिक विभाग शिक्षा विभाग के प्रस्ताव को हूबहू मानकर नियुक्ति प्रक्रिया को हड़ी झंडी दे देता है तो एक बार फिर यह नियुक्ति भी विवादों में आने के आसार हैं।

आरक्षण को लेकर इस नयी पेचदगी पर अब कार्मिक विभाग अध्ययन कर रहा है। सोमवार को समीक्षा बैठक में भी इस बात को लेकर चर्चा हुई। हालांकि शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा है कि जो भी अड़चनें आयेंगी उसे दूर कर लिया जायेगा। समीक्षा बैठक के बाद शिक्षा मंत्री ने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि मीडिल स्कूलों के प्रधानाध्यापक के करीब 9000 पद सृजन की स्वीकृति मंत्री स्तर से दे दी गई है और जल्द ही इसको लेकर प्रक्रिया शुरू की जायेगी। बैठक में शिक्षा सचिव के रवि कुमार, राज्य परियोजना निदेशक किरण कुमार पासी सहित विभाग के कई पदाधिकारी मौजूद थे।

आवंटित बजट के अनुरूप खर्च नहीं होने को भी शिक्षा मंत्री ने गंभीरता से लिया है। शिक्षा मंत्री ने समीक्षा के दौरान अधिकारियों को कहा है कि शत प्रतिशत आवंटित बजट राशि खर्च करें। उन्होंने कहा कि पैसा लैप्स नहीं होना चाहिये। शिक्षा मंत्री ने कहा डीबीटी के माध्यम से पोषाक योजना की मिलनेवाली राशि पर असंतोष व्यक्त करते हुए जगरनाथ महतो ने कहा कि 610 रुपया बच्चों को मिलता है उसमें भी बैंक द्वारा खाता में कम राशि होने पर उसे काट लिया जाता है। ऐसे में बच्चों के अभिभावक को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि बजट राशि कि खर्च और कामकाज में तेजी लाने के उद्देश्य से 5 दिन के बाद एक बार फिर विभागीय कार्यों की समीक्षा होगी और जो होमवर्क पदाधिकारियों को दी गई है उसमें देखा जाएगा कि कितना सुधार हुआ है। समीक्षा बैठक में पोषाहार योजना, स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थिति, मॉडल स्कूल के कामकाज की समीक्षा की गई।

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