रांची। रिम्स एक बार फिर विवादों में उलझ गया। परिजनों का आरोप था कि मरीज जिंदा थी, लेकिन डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। दरअसल हुआ यूं कि एक महिला को डाक्टरों ने सुबह करीब 9:15 बजे डॉक्टरों ने मृत बताते हुए शव व बॉडी कैरिंग सर्टिफिकेट भी थमा दिया। इधर मरीज के परिजनों ने मरीज को देखा तो सांसें चल रही थी और की धड़कन भी थी। परिजनों ने दौड़कर डॉक्टरों को बुलाया, तो जूनियर डॉक्टरों ने भी मरीज के सांस चलने की बात स्वीकार की। फिर वापस उसका इलाज शुरू हुआ। हालांकि, दोबारा इलाज शुरू होने के 8 घंटे के बाद उसकी मौत हो गई।

यह मामला रिम्स के सर्जरी विभाग का है। यहां हजारीबाग से आयी महिला के गाल ब्लाडर की सर्जरी करानी थी। लेकिन यह महिला कार्डियेक की मरीज भी थी। इसके बाद इलाज कर रहे सर्जरी विभाग के एचओडी डा शीतल मलुआ ने महिला की सर्जरी से पहले उसे कार्डियोलाजी में कई तरह के जांच के लिए भेजा। अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि जहां एनेथिया लेने के क्रम में महिला की हार्ट अटैक से मौत हो गई। इसके बाद परिजनों को यह बताया गया। जब शव दिया गया तो परिजनों ने हल्ला मचाया कि महिला जिंदा है और हाथ हिला रही है।

डा शीतल मलुआ के मुताबिक महिला की मौत पहले हो चुकी थी। लेकिन डाक्टर अंतिम क्षण तक मरीज को बचाने का प्रयास करते हैं। जब परिजन ने कहा कि महिला जिंदा है तो पीजी छात्रों ने उसे उठाकर फिर से वेंटिलेटर में रखा। जहां मशीन की वजह से लगा कि महिला सांस ले रही है। इसके बाद परिजनों को स्पष्ट करने के लिए ईसीजी की गई जिससे स्पष्ट हुआ कि महिला की मौत हो चुकी थी।

हर खबर आप तक सबसे सच्ची और सबसे पक्की पहुंचे। ब्रेकिंग खबरें, फिर चाहे वो राजनीति...