नयी दिल्ली। सेक्स वर्करों के साथ राज्य और केंद्र की पुलिस को सम्मानपूर्वक व्यवहार के निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दिये हैं। कोर्ट ने साफ कहा है कि किसी भी सेक्स वर्करों के साथ पुलिस मौखिक या शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार ना करे। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एन नागेश्वर राव, बीआर गवई और एएस बोपन्ना ने निर्देश जारी कर कहा है कि इस देश में संवैधानिक संरक्षण प्राप्त हर व्यक्ति का उन अधिकारियों के द्वारा ध्यान रखा जाना चाहिये, जो अनैतिक व्यापार अधिनियम 1956 के तहत कर्तव्य निभाते हैं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट कोरोना के दौरान सेक्स वर्क्स को आई परेशानियों को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है। कोर्ट ने स मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत हर किसी को सम्मानजनक व्यवहार का अधिकार है।
कोर्ट ने कहा कि अगर किसी सेक्स वर्कर के साथ यौन उत्पीड़न होता है। तो उसे कानून के तहत तुरंत मेडिकल सहायता समेत यौन हमले की पीड़िता को सुविधाएं उपलब्ध कराये। कोर्ट ने कहा है कि ये देखा गया है कि सेक्स वर्क्स के प्रति पुलिस क्रूर और हिंसक रवैया अपनाती है। पुलिस और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसिंयों को सेक्स वर्कर के अधिकारों के प्रति संवेदनशील होना चाहिये।
बेच ने ये भी कहा है कि पुलिस को सभी सेक्स वर्क्स से सम्मान के व्यवहार करना चाहिये और उन्हें मौखिल या शारीरिक रूप से परेशान नहीं करना चाहरिये। ना ही उन्हें किसी यौग गतिविधि के लिए मजबूर करना चाहिये। कोर्ट ने मीडियो को भी इस मामले में दिशा निर्देश जारी करने को कहा है, ताकि गिरफ्तारी, छापा या अन्य गतिविधि के दौरान सेक्स वर्कस की पहचान नहीं हो सके। चाहे वो पीड़ित हो या आरोपी। कोर्ट ने मीडिया में ऐसी तस्वीर भी सार्वजनिक नहीं करने को कहा है, जिससे उनकी पहचान उजागर हो।

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