रांची: सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार की उस याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है जिसमें ईडी की ओर से झारखंड पुलिस के अफसरों को समन भेजे जाने को चुनौती दी गई है बुधवार को झारखंड सरकार ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में मेंशन किया कोर्ट ने कहा दिसंबर में हो रही छुट्टियों के बाद जनवरी में इस मामले की सुनवाई की जाएगी।
झारखंड सरकार ने जिस मामले में ईडी की कार्रवाई को गलत और अधिकार क्षेत्रों का उल्लंघन बताते हुए याचिका दायर की है, वह 2020 में साहिबगंज जिले के बड़हरवा टोल प्लाजा टेंडर विभाग से संबंधित है। इस विवाद को लेकर शंभू भगत नामक एक ठेकेदार द्वारा झारखंड सरकार के मंत्री आलमगीर आलम और सीएम हेमंत सोरेन के विधानसभा क्षेत्र प्रतिनिधि पंकज मिश्र समेत 11 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी। एफआईआर दर्ज होने के बाद 24 घंटे के अंदर इसका सुपरविजन करने वाले डीएसपी प्रमोद मिश्र ने मंत्री आलमगीर एवं पंकज मिश्रा को क्लीन चिट दे दी थी। ईडी ने इस मामले में पैसे के लेनदेन के एंगल पर जांच शुरू की है और झारखंड पुलिस के डीएसपी प्रमोद मिश्रा को पूछताछ के लिए समन किया है। हालांकि डीएसपी प्रमोद मिश्र ईडी समान के बावजूद पिछले 13 दिसंबर को पूछताछ के लिए उपस्थित नहीं हुए थे। इसके बाद ईडी ने उन्हें दोबारा समन जारी कर 15 दिसंबर को पूछताछ के लिए समन भेजा है।
ईडी की इस कार्रवाई के विरोध में झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका डाली है। उसमें कहा गया है कि ईडी को अपने केस के सिलसिले में किसी से पूछताछ करने का अधिकार है। लेकिन वह अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर राज्य पुलिस से जुड़े मामले में पुलिस अफसरों को समन कर रही है। झारखंड सरकार ने इसे राज्य के अधिकारों का अतिक्रमण बताते हुए ईडी की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की है।