धर्म न्यूज : इस साल शरद पूर्णिमा पर (28 नवंबर )साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. माना जाता है कि पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व होता है लेकिन शरद पूर्णिमा के दिन धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, अश्विन माह में आने वाली पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा धरती के सबसे निकट होता है. इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है. साथ ही इस बार चंद्र ग्रहण भी 28 अक्टूबर, शनिवार को ही लगने जा रहा है, जो कि भारत में दृश्यमान होगा.

शरद पूर्णिमा को माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है और इस दिन चंद्रमा अमृत की बरसात करता है. इस दिन, चंद्रमा की रौशनी में रखी जाने वाली खीर को परंपरागत तरीके से बनाकर चंद्रमा के आगे रखने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. इस मौके पर, खीर को एक प्रसाद के रूप में भी ग्रहण करने की प्रथा है, ऐसा माना जाता है कि आरोग्य को बढ़ावा देता है और चंद्रमा के प्रतिकूल प्रभाव से मुक्ति प्रदान करता है. हालांकि, इस बार शरद पूर्णिमा के साथ चंद्र ग्रहण भी होने वाला है, जिससे दुविधा की स्थिति पैदा हो रही है.

सूतक का समय

सूतक काल के पहले ही खीर बनाकर मंदिर या देवता स्थल पर रखें और भगवान को भोग लगाएं. ग्रहण काल में कोई भी खाद्य पदार्थ में दोष लग जाता है, इसलिए उसका सेवन नहीं करना चाहिए. ऐसी स्थिति में सूतक काल के पहले, उसका सेवन कर लेना चाहिए. चंद्र ग्रहण का सूतक 28 अक्टूबर के शाम को 4 बजकर 5 मिनट से प्रारंभ हो जाएगा, जबकि ग्रहण रात्रि 01:05 बजे से प्रारंभ होगा और मोक्ष रात 02.23 बजे होगा.

चंद्रग्रहण का समय भारतीय समयानुसार रात 1:05 से 2:24 तक रहेगा. यानी कि यह चंद्रग्रहण करीब सवा घंटे का रहेगा. वहीं इस चंद्रग्रहण का सूतक काल शाम 04:12 से शुरू होगा. इस दौरान सभी मंदिरों के पट बंद रहेंगे. इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है. मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा अमृत की बरसात करता है. इसलिए रात को चंद्रमा की रोशनी में खीर रखी जाती है. वहीं चंद्रमा की किरणें मन को शीतलता देती है. वहीं चंद्रग्रहण मन-मस्तिष्क पर बुरा असर डाल सकता है. इसलिए इस दौरान कुछ काम वर्जित रहते हैं.

मेष राशि में ग्रहण

यह चंद्र ग्रहण मेष राशि और अश्विन नक्षत्र में लग रहा है. इससे मेष राशि में गजकेसरी योग बनेगा. यह चंद्र ग्रहण भारत में नजर आएगा और सभी 12 राशि वालों पर शुभ-अशुभ प्रभाव भी डालेगा. ज्योतिष के अनुसार यह चंद्र ग्रहण वृषभ, मिथुन, कन्या और कुंभ राशि वालों के लिए बेहद शुभ है.

ग्रहण के समय न रखें खीर

चूंकि चंद्र ग्रहण भारत में नजर आएगा और इसका सूतक काल मान्य होगा. लिहाजा शरद पूर्णिमा पर खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखने से वह दूषित हो जाएगी. ऐसी दूषित खीर खाने से सेहत को लाभ की जगह हानि हो सकती है. लिहाजा इस साल शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण का साया होने के कारण चंद्रमा की रोशनी में खीर नहीं रखी जा सकेगी. ना ही ऐसी खीर से भगवान को भोग लगाया जा सकेगा.

कब रख सकते हैं खीर?

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि चंद्र ग्रहण के मोक्ष के बाद खुले आसमान के नीचे आप खीर रख सकते हैं. आप खीर बनाने के लिए गाय के दूध में सूतक काल शुरू होने के पहले कुशा डाल दें. फिर उसे ढककर रख दें. इससे सूतक काल के दौरान दूध शुद्ध रहेगा. बाद में आप इसकी खीर बनाकर भोग लगा सकेंगे.


इस दौरान खीर बनाने की प्रक्रिया ग्रहण खत्म होने के बाद शुरू की जाएगी. फिर भोर में आप अमृत वर्षा के लिए इसे खुले आसमान के नीचे रख सकते हैं. शरद पूर्णिमा की रात कई मायने में महत्वपूर्ण है. जहां इसे शरद ऋतु की शुरुआत माना जाता है, वहीं माना जाता है कि इस रात को चंद्रमा संपूर्ण 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है और अपनी चांदनी में अमृत बरसाता है. पूर्णिमा की रात हमेशा ही बहुत सुंदर होती है लेकिन शरद पूर्णिमा की रात को सबसे सुंदर रात कहा जाता है.

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